पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पदोन्नति पर अंतरिम रोक की मांग वाली अपील खारिज की; कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति मीनाक्षी आई. मेहता शामिल थीं, ने सुभाष चंदर भांभू व अन्य बनाम राज्य हरियाणा मामले में दायर एक लेटर्स पेटेंट अपील (LPA-1049-2025) को खारिज कर दिया। यह अपील एकल न्यायाधीश द्वारा अंतरिम स्थगन आदेश देने से इनकार करने के निर्णय को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी। न्यायालय ने इसे कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग मानते हुए याचिकाकर्ताओं पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है।

मामले की पृष्ठभूमि:

याचिकाकर्ताओं ने 19.01.2025 और 29.01.2025 को जारी दो प्रशासनिक आदेशों को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। ये आदेश ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर से डिप्टी डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर और डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर के पदों पर पदोन्नति से संबंधित थे।

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रिट याचिका लंबित रहने के दौरान, याचिकाकर्ताओं ने एक अंतरिम आवेदन दायर कर इन आदेशों पर रोक लगाने और पदोन्नति प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी। एकल न्यायाधीश ने 07.03.2025 को नोटिस ऑफ मोशन जारी करते हुए, प्रतिवादियों से उत्तर मांगा, और यह कहते हुए कि इस चरण पर अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती, आवेदन को विचार के लिए स्थगित कर दिया।

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इसके विरुद्ध याचिकाकर्ताओं ने वर्तमान LPA दायर की।

न्यायालय की टिप्पणी:

खंडपीठ ने कहा कि अंतरिम आदेशों या प्रक्रियात्मक आदेशों के विरुद्ध LPA दायर करने की प्रवृत्ति चिंताजनक है और यह “कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग” है।

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अदालत ने कहा:

“हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जब एक बार न्यायालय नोटिस ऑफ मोशन जारी कर देता है, तो इसके बाद यदि प्रतिवादी कोई नया आदेश जारी करते हैं, तो उन पर तुरंत आदेश पारित किया जा सकता है। परंतु जो आदेश पहले से चुनौती में हैं, उनके संबंध में उत्तर प्राप्त करना और उसके बाद ही अंतरिम राहत पर विचार करना उपयुक्त है।”

खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया को सही ठहराया।

निर्णय:

उच्च न्यायालय ने अपील को ₹50,000 की लागत के साथ खारिज कर दिया और निर्देश दिया कि यह राशि हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के पास जमा कराई जाए। न्यायालय ने कहा:

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“इतना कहना पर्याप्त है कि यह अपील कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है, और इसलिए इसे लागत के साथ खारिज किया जाता है।”

सभी लंबित अंतरिम आवेदन भी खारिज कर दिए गए।

मामले का विवरण:

  • मामला शीर्षक: सुभाष चंदर भांभू व अन्य बनाम राज्य हरियाणा
  • मामला संख्या: LPA-1049-2025 (O&M)
  • पीठ: न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा एवं न्यायमूर्ति मीनाक्षी आई. मेहता

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