अनुच्छेद 21 का विस्तार जीवन के अधिकार को साकार करने में अहम: जस्टिस बी.आर. गवई

भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा कि अनुच्छेद 21 के दायरे के विस्तार ने नागरिकों के जीवन के अधिकार को वास्तविक रूप से साकार करने में निर्णायक भूमिका निभाई है। यह कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित न्यायिक क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।

जस्टिस गवई ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में अनुच्छेद 21 का व्यापक रूप से समृद्धिकरण हुआ है, जिसके तहत अब जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े कई मूल अधिकार शामिल हैं, जैसे आवास का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, नींद का अधिकार, शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार, स्वच्छ वायु और जल का अधिकार, शोर प्रदूषण से सुरक्षा तथा अवैध हिरासत से संरक्षण।

उन्होंने कहा, “हर दिन सैकड़ों नागरिक न्याय के लिए अदालतों का रुख करते हैं, जो इस संस्था पर उनके अटूट विश्वास का प्रमाण है।” उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि यह भरोसा न्यायपालिका की जिम्मेदारी को और भी बढ़ाता है कि वह निष्पक्षता, स्वतंत्रता और संविधान के मूल सिद्धांतों का पालन करते हुए न्याय प्रदान करे।

Video thumbnail

कार्यक्रम के दौरान जस्टिस गवई ने भारत के कानूनी इतिहास को आकार देने वाले ऐतिहासिक फैसलों की भी चर्चा की। उन्होंने केशवानंद भारती मामले का उल्लेख किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान की मूल संरचना को किसी भी संशोधन द्वारा बदला नहीं जा सकता। साथ ही, उन्होंने मिनर्वा मिल्स केस का हवाला देते हुए कहा कि इसने मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के बीच संतुलन स्थापित किया, जो संविधान की संरचनात्मक समरसता के लिए आवश्यक है।

भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में खड़े जस्टिस गवई ने संविधान को एक “जीवित दस्तावेज़” बताया, जो देश की जनता की आकांक्षाओं को दर्शाता है। उन्होंने 1966 से अब तक सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि इनकी विशेषज्ञता ने अदालत को अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन करने में सहायता की है।

READ ALSO  Delhi Police plea for construction on Yamuna floodplains junked
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles