सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता दुर्गेश पाठक के खिलाफ 2022 विधानसभा उपचुनाव से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियों को हटा दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हाईकोर्ट की उन टिप्पणियों को रद्द कर दिया जो पाठक की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई थीं, यह सुनिश्चित करते हुए कि ये टिप्पणियां उनके भविष्य के राजनीतिक करियर में बाधा नहीं बनेंगी।
यह कानूनी विवाद तब शुरू हुआ जब राजेंद्र नगर निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता होने का दावा करने वाले राजन तिवारी ने दुर्गेश पाठक की 2022 की चुनावी जीत को चुनौती दी और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। पाठक ने यह सीट 11,468 वोटों के बड़े अंतर से जीती थी। तिवारी ने आरोप लगाया कि पाठक ने अपने आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं किया, नामांकन जांच के दौरान लाभ के पद पर थे, और उनके आयकर विवरण व शेयरों के मूल्यांकन में गड़बड़ी थी।
दुर्गेश पाठक, जिन्होंने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन भाजपा के उमंग बजाज से 1,231 वोटों से हार गए, ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में तिवारी की चुनाव याचिका को खारिज करने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उस समय याचिका खारिज करने से इनकार कर दिया, जिससे पाठक ने मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया।
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पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में पाठक को हलफनामा देकर यह स्पष्ट करने को कहा था कि उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं है, सिवाय उस एफआईआर के जिसे उन्होंने नामांकन पत्र (फॉर्म 26) में घोषित किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही चुनाव याचिका पर अस्थायी रोक लगा दी थी।