दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थानीय वन्यजीव और पुलिस अधिकारियों को शहर में संकट में फंसे पक्षियों को बचाने के लिए एक संरचित तंत्र विकसित करने का निर्देश देते हुए एक आदेश जारी किया है। यह निर्देश सेव इंडियन फाउंडेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में आया है, जिसमें पक्षियों के कल्याण के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने मामले की अध्यक्षता की। पीठ ने आदेश दिया कि सेव इंडियन फाउंडेशन को दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के तहत वन और वन्यजीव विभाग दोनों को एक विस्तृत प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करना चाहिए। इस प्रतिनिधित्व में प्रस्तावित बचाव कार्यों के लिए चिंताओं और सुझावों को रेखांकित करना चाहिए। अधिकारियों को तीन महीने के भीतर इन सुझावों की समीक्षा और विचार करना आवश्यक है।
17 फरवरी को जारी अदालत के आदेश में निर्दिष्ट किया गया है कि बचाव तंत्र के विकास में सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श शामिल होना चाहिए और इसमें सेव इंडियन फाउंडेशन द्वारा प्रदान किए गए इनपुट को शामिल किया जाना चाहिए। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तैयार की गई प्रणाली राजधानी में संकटग्रस्त पक्षियों की जरूरतों को पूरा करने में व्यावहारिक और कुशल दोनों हो।
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इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित अधिकारी विशेष जानकारी और प्रथाओं के साथ बचाव तंत्र को और समृद्ध करने के लिए दिल्ली के पशु कल्याण बोर्ड जैसे अन्य विशेषज्ञ निकायों से भी परामर्श कर सकते हैं।