दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले को टालने की ईडी की याचिका पर सत्येंद्र जैन से जवाब मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को आप नेता सत्येंद्र जैन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप तय करने को टालने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति विकास महाजन ने ईडी के आवेदन के बाद नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई 3 मार्च तय की।

इस मामले में आरोप है कि जैन ने कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिए धन शोधन किया। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहे जैन को ईडी ने 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया था और बाद में 18 अक्टूबर, 2024 को उन्हें जमानत दे दी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आरोपों पर सुनवाई टालने का कदम ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दोनों द्वारा चल रही जांच से उपजा है।

READ ALSO  मानसिक विकलांग लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करना अप्रत्यक्ष भेदभाव है: सुप्रीम कोर्ट

अपनी मुख्य याचिका में जैन ने जांच पूरी होने तक आरोप तय करने को टालने की दलील दी है। उनका तर्क है कि निष्पक्ष सुनवाई के लिए आरोप तय करने से पहले पूरी जांच जरूरी है। ईडी ने अपनी ताजा याचिका में कुछ हद तक इसी भावना को दोहराया है। इसमें पूरक अभियोजन शिकायत दर्ज करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। खास तौर पर तब जब सीबीआई ने इस साल की शुरुआत में अतिरिक्त आरोपपत्र दाखिल किया है। इसमें आय से अधिक संपत्ति की कथित मात्रा 1.47 करोड़ रुपये से बढ़कर 3.95 करोड़ रुपये हो गई है।

Video thumbnail

ईडी के वकील ने अदालत में दलील दी कि आरोप तय करने को टालने से जैन को कोई नुकसान नहीं होगा। यह दलील मुख्य याचिका में उनकी शुरुआती दलील से मेल खाती है। ईडी के लिए सीबीआई की चल रही जांच के घटनाक्रम को अपने आरोपपत्र में शामिल करने के लिए इस टालने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

READ ALSO  तीस साल पुराने हत्या के मामले में 3 लोगों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या बरी- जाने विस्तार से

इससे पहले, हाईकोर्ट ने जैन की याचिका पर ईडी का रुख पूछा था। याचिका में इस याचिका के लंबित रहने तक चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप तय करने से संबंधित दलीलों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। इस कानूनी झगड़े की पृष्ठभूमि में सीबीआई की एफआईआर के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जैन की 2017 में गिरफ्तारी शामिल है, जिसके बाद ईडी ने उन पर धन शोधन के आरोप लगाए।

READ ALSO  एक कमरे में रहने वाले जोड़े और घर के दूसरे हिस्से में माता-पिता के रहने में कोई बाधा नहीं डालना, वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एक्ट 2007 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles