सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए कहा, “तर्क सुने गए। फैसला सुरक्षित रखा गया।”
इस मामले में 124 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से एक याचिका खुद पश्चिम बंगाल सरकार ने दायर की है। इसमें हाई कोर्ट के 22 अप्रैल, 2024 के फैसले को संबोधित किया गया है। हाई कोर्ट ने इन नियुक्तियों को रद्द करने के अपने फैसले में ओएमआर शीट से छेड़छाड़ और अनुचित रैंक-जंपिंग जैसी कई अनियमितताओं का हवाला दिया था।
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ वकीलों की एक बड़ी संख्या ने दोनों पक्षों के हितों का प्रतिनिधित्व किया। अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, रंजीत कुमार, अभिषेक सिंघवी, दुष्यंत दवे, पी एस पटवालिया, राकेश द्विवेदी, मनिंदर सिंह, श्याम दीवान, प्रशांत भूषण, मीनाक्षी अरोड़ा और करुणा नंदी उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने इस मामले में दलीलें पेश कीं और इसके महत्व और जटिलता पर प्रकाश डाला।
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राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले राकेश द्विवेदी ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 19 दिसंबर को अपनी अंतिम सुनवाई शुरू की और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले पर निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इस साल 15, 27 जनवरी और 10 फरवरी को सत्र आयोजित किए।