केंद्र सरकार ने राज्यसभा में पुष्टि की है कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के वेतन, भत्ते या पेंशन में बढ़ोतरी की कोई योजना नहीं है। यह बयान गुरुवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिया, जिन्होंने इस मामले पर पूछे गए सवालों का लिखित जवाब दिया।
मंत्री मेघवाल के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट और 25 हाई कोर्ट के जजों के लिए मुआवज़ा पैकेज सुप्रीम कोर्ट जज (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1958 और हाई कोर्ट जज (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1954 के तहत विनियमित होते हैं। ये क़ानून न्यायिक वेतन, भत्ते और पेंशन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करते हैं।
न्यायिक वेतन संरचना में आखिरी संशोधन 2016 में हुआ था, जो 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद हुआ था, जिसे उसी साल 1 जनवरी से लागू किया गया था। इस समायोजन के परिणामस्वरूप भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को 2.80 लाख रुपये मासिक वेतन प्राप्त हुआ। इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को 2.50 लाख रुपये प्रति माह वेतन मिल रहा है, जबकि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को 2.25 लाख रुपये मासिक वेतन मिल रहा है।
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