एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को राजकोट गेम जोन अग्निकांड में शामिल तीन व्यक्तियों को जमानत दे दी, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल 27 लोगों की दुखद मौत हो गई थी। न्यायालय का यह निर्णय न्यायमूर्ति एम आर मेंगडे की देखरेख में एक संक्षिप्त सत्र के दौरान आया।
न्यायालय के निर्णय के तीन लाभार्थी पूर्व सहायक नगर नियोजक राजेश मकवाना और गौतम जोशी हैं, साथ ही राजकोट नगर निगम के नगर नियोजन विभाग के पूर्व सहायक अभियंता जयदीप चौधरी भी हैं। ये अधिकारी 25 मई को राजकोट शहर के नाना-मावा इलाके में टीआरपी गेम जोन में लगी भीषण आग के बाद गिरफ्तार किए गए 15 लोगों में शामिल थे।
मकवाना, जोशी और चौधरी को राहत दिए जाने के बावजूद, हाईकोर्ट ने मामले में चार अन्य प्रमुख व्यक्तियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। इनमें राजकोट के पूर्व नगर नियोजन अधिकारी एम डी सागाथिया, मुख्य अग्निशमन अधिकारी आई वी खेर और टीआरपी गेम जोन के सह-मालिक अशोकसिंह जडेजा और किरीटसिंह जडेजा शामिल हैं।

यह न्यायिक फैसला पिछले साल सितंबर और अक्टूबर के दौरान राजकोट सत्र न्यायालय में सागाथिया, खेर, जोशी, मकवाना और अशोकसिंह जडेजा से संबंधित कई असफल जमानत आवेदनों के बाद आया है।
इस मामले में सभी 15 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत गंभीर आरोप हैं, जिनमें धारा 304 (हत्या के बराबर न होने वाली गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास) और 337 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से चोट पहुंचाना) शामिल हैं।
इस दुखद घटना ने गंभीर सुरक्षा चूक को उजागर किया, क्योंकि जांच से पता चला कि गेम जोन आवश्यक अग्नि एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के बिना चल रहा था। इस आग ने चार बच्चों सहित 27 व्यक्तियों की जान ले ली, जिससे शहर के सार्वजनिक सुरक्षा उपायों पर असर पड़ा।