सुप्रीम कोर्ट ने इतिहास रचते हुए न्यायिक पदों के लिए उम्मीदवारों का इंटरव्यू पहली बार दिल्ली से बाहर लिया। यह ऐतिहासिक बैठकें विशाखापट्टनम में हुईं, जहां आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित उम्मीदवारों का मूल्यांकन किया गया।
यह पहल पारंपरिक प्रक्रियाओं से एक बड़ा बदलाव है। 1990 के दशक में स्थापित प्रथाओं के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों पर आधारित रहता था। इनमें बायोडाटा, खुफिया रिपोर्ट और राज्यपाल व मुख्यमंत्री की राय का समावेश होता था।
इस बार प्रक्रिया को और व्यक्तिगत रूप दिया गया। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने इन सत्रों का नेतृत्व किया। 20 से अधिक न्यायाधीश और उनके परिवार इस उद्देश्य के लिए आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम गए। उम्मीदवारों का समय और खर्च बचाने के लिए यह स्थान चुना गया।
22 दिसंबर से इंटरव्यू का सिलसिला सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के ठहरने वाले होटल में शुरू हुआ। यह नई प्रक्रिया उम्मीदवारों की क्षमताओं, व्यक्तित्व और संवैधानिक न्यायाधीश बनने की योग्यता को गहराई से समझने के लिए अपनाई गई।
उम्मीदवारों के साथ सीधे संवाद करना सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया न केवल लॉजिस्टिक दृष्टि से सुविधाजनक है, बल्कि न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने के लिए रणनीतिक सुधार भी है।
इस ऐतिहासिक पहल से न्यायिक प्रणाली में नई ऊर्जा और बदलाव आने की उम्मीद है, जो न्यायिक स्वतंत्रता को और सशक्त बनाएगा।