मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि किसी कर्मचारी को उनके पूरे करियर में की गई एकमात्र गलती के आधार पर नौकरी से बर्खास्त करना, वह भी बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए, अत्यधिक और अस्वीकार्य है। यह फैसला 8 जनवरी 2025 को जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश बनाम श्रीमती हेमलता ताला (रिट अपील नं. 3111/2024) मामले में सुनाया। कोर्ट ने श्रीमती ताला को 50% पिछली तनख्वाह के साथ पुनः नियुक्ति के पहले के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी।
पृष्ठभूमि
श्रीमती हेमलता ताला, जो एक सरकारी कर्मचारी थीं, को उनके सेवाकाल के दौरान की गई एकमात्र क्लेरिकल गलती के लिए कलेक्टर द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था। यह आदेश बिना कोई कारण बताओ नोटिस जारी किए या जांच किए जारी किया गया, जो कि प्रक्रिया संबंधी मानकों का उल्लंघन था।
श्रीमती ताला ने इस बर्खास्तगी को रिट कोर्ट में चुनौती दी, जिसने अगस्त 2024 में इस आदेश को रद्द कर दिया। रिट कोर्ट ने इसे कलंकपूर्ण और प्रक्रिया में दोषपूर्ण मानते हुए उनके पुनः नियुक्ति और 50% पिछली तनख्वाह का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने पुनः नियुक्ति को स्वीकार किया, लेकिन पिछली तनख्वाह देने के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी कि श्रीमती ताला ने मुकदमे के दौरान वैकल्पिक रोजगार न होने का सबूत नहीं दिया।
मुख्य कानूनी मुद्दे
1. निष्कासन में उचित प्रक्रिया का पालन: बिना कारण बताओ नोटिस या जांच के निष्कासन वैध था या नहीं।
2. पिछली तनख्वाह : क्या पिछली तनख्वाह तब उचित थी जब कर्मचारी ने मुकदमे के दौरान वैकल्पिक रोजगार किया हो।
कोर्ट की टिप्पणियां
हाईकोर्ट ने अपने विस्तृत निर्णय में कलेक्टर के निर्णय में प्रक्रिया की खामियों को रेखांकित किया। पीठ ने कहा:
“कलेक्टर द्वारा बिना कारण बताओ नोटिस दिए और बिना जांच किए सेवा से बर्खास्तगी जैसा कठोर दंड लगाया गया। रिट कोर्ट ने सही पाया कि यह आदेश कलंकपूर्ण और अस्वीकार्य है।”
पिछली तनख्वाह के मुद्दे पर, कोर्ट ने राज्य सरकार की वैकल्पिक रोजगार की दलील को खारिज करते हुए कहा:
“नौकरी से बर्खास्तगी के बाद आजीविका के लिए कोई भी कर्मचारी अपने और अपने परिवार के लिए आय अर्जित करेगा। यह पिछली तनख्वाह से वंचित करने का आधार नहीं हो सकता, खासकर जब निष्कासन आदेश को अवैध पाया गया हो।”
कोर्ट ने रोजगार मामलों में प्रक्रिया संबंधी सुरक्षा को अनिवार्य बताया और अनुशासनात्मक कार्रवाई में अनुपातिकता के सिद्धांत पर जोर दिया।
हाईकोर्ट ने रिट कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए श्रीमती हेमलता ताला को 50% पिछली तनख्वाह के साथ पुनः नियुक्त करने का निर्देश दिया। मध्य प्रदेश सरकार की अपील को खारिज कर दिया गया और किसी प्रकार का हर्जाना नहीं लगाया गया।