राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत परिवहन प्राधिकरणों की शक्तियों को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। न्यायमूर्ति महेन्द्र कुमार गोयल ने कहा कि वाहन का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार केवल मूल पंजीकरण प्राधिकरण के पास है। हालांकि, अन्य क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण जांच कर सकते हैं और कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते हैं।
यह फैसला तीन याचिकाओं के तहत आया, जिन्हें विक्रम सिंह, हरदीप सिंह, और परविंदर सिंह ने दायर किया था। इन याचिकाओं में जयपुर के जगतपुरा क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिसों की वैधता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए नोटिसों को वैध और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप माना।
मामला
याचिकाकर्ता का पक्ष:
हरियाणा निवासी याचिकाकर्ता विक्रम सिंह, हरदीप सिंह और परविंदर सिंह के वाहन राजस्थान के कोटपूतली परिवहन प्राधिकरण में पंजीकृत थे। लेकिन, उन्हें जयपुर के जगतपुरा क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 55(5) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। इन नोटिसों में उनके वाहन पंजीकरण को रद्द करने के संभावित आधार बताए गए थे।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि केवल कोटपूतली का मूल पंजीकरण प्राधिकरण ही ऐसे नोटिस जारी कर सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि जगतपुरा क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण का इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वकील सुल्तान सिंह कुरी और भगीरथ सिंह कुरी ने किया।
मुख्य कानूनी मुद्दे
- परिवहन प्राधिकरणों का अधिकार क्षेत्र:
क्या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण, जो मूल पंजीकरण प्राधिकरण नहीं है, कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है? - धारा 55(2) की व्याख्या:
मूल पंजीकरण प्राधिकरण और अन्य प्राधिकरणों के अधिकारों और प्रक्रियाओं को किस तरह परिभाषित किया जाए?
कोर्ट का निर्णय
न्यायमूर्ति महेन्द्र कुमार गोयल ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 55(2) पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा:
“यह स्पष्ट है कि पंजीकरण रद्द करने का अधिकार केवल मूल पंजीकरण प्राधिकरण के पास है। लेकिन अन्य क्षेत्रीय प्राधिकरणों को कारण बताओ नोटिस जारी करने और मामले की प्रारंभिक जांच करने से रोका नहीं जा सकता।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कारण बताओ नोटिस जारी करना केवल एक प्रारंभिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य वाहन मालिकों को अपना पक्ष रखने का मौका देना है। इस प्रक्रिया का मतलब यह नहीं है कि किसी वाहन का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
- कारण बताओ नोटिस वैध:
कोर्ट ने कहा कि जगतपुरा परिवहन प्राधिकरण ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का सही तरीके से इस्तेमाल किया। यह प्रक्रिया न केवल वैध है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक भी है। - मूल अधिकार सुरक्षित:
न्यायालय ने यह भी कहा कि पंजीकरण रद्द करने का अंतिम निर्णय केवल मूल पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा ही लिया जा सकता है। लेकिन, अन्य प्राधिकरण जांच के लिए नोटिस जारी कर सकते हैं। - प्रक्रियात्मक पारदर्शिता:
न्यायमूर्ति गोयल ने यह भी कहा कि कारण बताओ नोटिस जारी करना वाहन मालिकों को अपने पक्ष में तर्क प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है।
याचिकाओं का खारिज होना
न्यायालय ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दिए गए तर्क कमजोर हैं और नोटिस जारी करना किसी भी प्रकार से कानून का उल्लंघन नहीं है। न्यायालय ने कहा:
“कारण बताओ नोटिस किसी भी प्रकार से दंडात्मक कार्रवाई नहीं है। यह केवल एक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके तहत वाहन मालिकों को अपनी बात रखने का अवसर मिलता है।”
निर्णय
- सभी याचिकाएं खारिज:
राजस्थान हाईकोर्ट ने विक्रम सिंह, हरदीप सिंह, और परविंदर सिंह की याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने जगतपुरा क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण द्वारा जारी नोटिसों को वैध करार दिया। - आगे की कार्रवाई के लिए मार्ग प्रशस्त:
कोर्ट ने कहा कि इन नोटिसों पर अगली कार्रवाई मूल पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा की जाएगी।
केस विवरण
- एस.बी. सिविल रिट पिटीशन नंबर 16306/2024: विक्रम सिंह बनाम राजस्थान राज्य
- नंबर 16865/2024: हरदीप सिंह बनाम राजस्थान राज्य
- नंबर 16987/2024: परविंदर सिंह बनाम राजस्थान राज्य