दिल्ली हाईकोर्ट को गुरुवार को जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री आतिशी के नेतृत्व वाली आप सरकार, जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने शराब शुल्क, प्रदूषण और अन्य वित्तीय मामलों से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्टें राज्य विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उपराज्यपाल को भेज दी हैं। यह कार्रवाई इस कानूनी जांच के बीच की गई है कि क्या सरकार इन रिपोर्टों को संभालने में अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा कर रही है।
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने अदालत को बताया कि हालांकि उन्हें वित्त मंत्री द्वारा एलजी को रिपोर्ट भेजे जाने के बारे में मौखिक निर्देश मिले हैं, लेकिन वे लिखित पुष्टि प्राप्त होने तक औपचारिक बयान देने से परहेज करेंगे। उपराज्यपाल के वकील ने पुष्टि की कि एलजी के कार्यालय को 11 दिसंबर की रात को विधानसभा के समक्ष पेश करने के लिए दस फाइलें मिलीं।
अदालत ने दोनों पक्षों को इन घटनाक्रमों के बारे में अपने हलफनामे दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है और अगली सुनवाई 16 दिसंबर के लिए निर्धारित की है। यह कानूनी जांच दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और कई भाजपा विधायकों द्वारा दायर याचिका के बाद शुरू हुई थी। उनका तर्क है कि दिल्ली सरकार ने विधानसभा के समक्ष आवश्यक रूप से महत्वपूर्ण सीएजी रिपोर्ट को तुरंत नहीं रखा, जिससे उसके वैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन हुआ।
याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 2022 से 2024 तक आठ महत्वपूर्ण सीएजी रिपोर्ट – जो वित्त लेखा परीक्षा, वायु प्रदूषण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शराब जैसे क्षेत्रों को कवर करती हैं – शहर सरकार के पास लंबित हैं। इन रिपोर्टों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम के तहत विधानसभा के समक्ष रखा जाना अनिवार्य है।
इससे पहले, सीएजी ने बार-बार प्रमुख सचिव (वित्त) से इन ऑडिट रिपोर्टों को विधानसभा के समक्ष रखने का अनुरोध किया था, जिसमें इस तरह की कार्रवाई के लिए कानूनी आवश्यकता पर जोर दिया गया था। याचिका में यह भी कहा गया कि उपराज्यपाल द्वारा इन रिपोर्टों को पेश करने के बार-बार अनुरोध के बावजूद, उन्हें समय पर आगे नहीं भेजा गया, जिससे विधायी निगरानी और शासन में संभावित चूक हो सकती है।