इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालयों में स्थित ई-सेवा केंद्रों के माध्यम से सीधे याचिका दायर करने की अनुमति देकर न्यायिक प्रक्रियाओं को और अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। वरिष्ठ वकील केसी जैन द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जवाब में लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य फाइलिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और याचिकाकर्ताओं को फोटो और हलफनामे के सत्यापन जैसी नियमित प्रक्रियाओं के लिए इलाहाबाद की यात्रा करने की आवश्यकता को कम करना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता अब इलाहाबाद की अनिवार्य यात्रा के बिना हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में किसी भी प्रकार की याचिका दायर करने में सक्षम हैं। एकमात्र आवश्यकता यह है कि याचिकाकर्ताओं को ई-सेवा केंद्रों पर शारीरिक रूप से उपस्थित होना चाहिए और स्कैन किया हुआ, नोटरीकृत हलफनामा प्रस्तुत करना चाहिए जिसमें उनकी तस्वीर शामिल हो।
इस पहल को सभी जिला न्यायाधीशों को इन परिवर्तनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश के साथ सूचित किया गया था। हालांकि, पूरे राज्य में अनुपालन असमान रहा है, जिससे आगे की कार्रवाई की मांग की जा रही है। केसी जैन ने कहा, “राज्य भर की कई जिला अदालतों ने अभी तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के 23 अप्रैल, 2024 के निर्देशों का पालन नहीं किया है।” उन्होंने ई-फाइलिंग सुविधाओं की स्थापना की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वादी इस नए प्रावधान से पूरी तरह लाभान्वित हो सकें।
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जैन ने अधिवक्ता के माध्यम से दायर याचिकाओं में हलफनामों के लिए फोटो सत्यापन की आवश्यकता को हटाने की भी वकालत की, उन्होंने तर्क दिया कि केवल इस उद्देश्य के लिए प्रयागराज की यात्रा करने की आवश्यकता से अनावश्यक लागत और देरी बढ़ जाती है, जिससे न्याय का मार्ग बाधित होता है।