इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के आदेशानुसार सीनियर बेसिक, जूनियर बेसिक और नर्सरी स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य बनाने के लिए सेवा नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया है। (एनसीटीई)।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि शिक्षकों की पदोन्नति से संबंधित यूपी बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियम 1981 के नियम 18 में आवश्यक बदलाव लाने से पहले ऐसी कोई पदोन्नति नहीं की जानी चाहिए।
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि आदेश टीईटी उत्तीर्ण करने वाले योग्य शिक्षकों की पदोन्नति पर रोक नहीं लगाएगा, लेकिन ऐसी पदोन्नति तत्काल याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन होगी।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बी आर सिंह की पीठ ने हिमांशु राणा और अन्य द्वारा दायर एक रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ताओं ने सीनियर बेसिक, जूनियर बेसिक और नर्सरी स्कूलों में शिक्षकों की पदोन्नति के लिए टीईटी मानदंड को शामिल न करने की सीमा तक यूपी बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियम 1981 के नियम 18 की वैधता पर सवाल उठाया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एनसीटीई ने 11 सितंबर, 2023 को एक अधिसूचना के माध्यम से स्पष्ट किया कि ऐसी पदोन्नति के लिए टीईटी अनिवार्य है और इसलिए इस मानदंड का पालन किए बिना कोई पदोन्नति नहीं की जा सकती है।
याचिकाकर्ताओं के वकील अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि ऐसी पदोन्नति के लिए टीईटी अनिवार्य है।
पीठ ने कहा कि चूंकि मद्रास हाईकोर्ट का फैसला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, जिसने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है, इसलिए तत्काल मामले पर विचार की आवश्यकता है।
अंतरिम आदेश पारित करते हुए पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।