उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गुरुवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को मौजूदा सत्र के लिए अपने कॉलेजों में पुरानी प्रवेश प्रक्रिया जारी रखने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
जनहित याचिका में दावा किया गया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय ने पिछले साल कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में प्रदर्शन के आधार पर प्रवेश लिया, जिसके कारण इसकी केवल 20 प्रतिशत सीटें ही भरी जा सकीं। विश्वविद्यालय पहले छात्रों को उनके इंटरमीडिएट (कक्षा 12) परीक्षा परिणामों के आधार पर प्रवेश देता था।
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय तय समय सीमा के भीतर नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो कुलपति को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
जनहित याचिका में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा यूजीसी को 15 मार्च 2023 को लिखे पत्र का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय सहित उत्तरी राज्यों के केंद्रीय विश्वविद्यालयों को 2023-24 के लिए सीयूईटी से छूट दी जानी चाहिए।