बुधवार को अयोध्या जंक्शन रेलवे स्टेशन पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई जब सरयू एक्सप्रेस के एक जनरल डिब्बे में एक 45 वर्षीय महिला हेड कांस्टेबल को चाकू से कई घावों के साथ बेहोश पाया गया।
इस घटना के संबंध में एक व्हाट्सएप संदेश रविवार को दोपहर 3:25 बजे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर को मिला, जिसके बाद इसकी सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के आवास पर रात 8:00 बजे बेंच गठित करने का निर्देश दिया गया। इस पीठ के गठन के संबंध में महाधिवक्ता कार्यालय को भी सूचना दे दी गयी।
मुख्य न्यायाधीश के आवास पर मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ का गठन किया गया और रात 8:00 बजे सुनवाई शुरू हुई।
श्री राम कौशिक, अधिवक्ता द्वारा एक पत्र याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसमें पीड़िता (जिसे ‘एक्स’ कहा गया है) के साथ हुई घटना के बारे में बताया गया। कुछ तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने के अलावा, श्री कौशिक ने 30/31.08.2023 की मध्यरात्रि में सरयू एक्सप्रेस के अंदर ड्यूटी पर तैनात ‘एक्स’ के साथ कुछ लोगों द्वारा जघन्य सामूहिक बलात्कार के मामले में स्वत: संज्ञान लेने का भी अनुरोध किया है।
श्री कौशिक द्वारा यूनियन ऑफ इंडिया एवं उसके अन्य विंगों की सुनवाई के लिए भी अनुरोध किया गया था। श्री राम कौशिक ने प्रस्तुत किया है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कथित घटना तब प्रकाश में आई जब कुछ यात्री, जो लगभग 4:00 बजे सुबह अयोध्या जंक्शन से सरयू एक्सप्रेस में चढ़े थे। उन्होंने कहा कि ‘एक्स’ बेहद खराब हालत में, खून से लथपथ, चेहरे पर गहरे घाव और चोटों के कारण हिलने-डुलने में असमर्थ पाई गई थी।
उन्होंने कहा कि ‘एक्स’ के भाई की ओर से एक लिखित शिकायत के आधार पर, आईपीसी की धारा 332, 353 और 307 के तहत 30.8.2023 को एफआईआर संख्या 0029/2023 दर्ज की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘एक्स’ की गंभीर और शारीरिक स्थिति को देखते हुए, धारा 376/376 डी आईपीसी को भी एफआईआर में जोड़ा जाना चाहिए था।
श्री कौशिक द्वारा आगे कहा गया कि रेलवे अधिकारी महिलाओं के मौलिक अधिकारों से जुड़े विभिन्न सुरक्षा उपायों को लागू करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। वर्तमान घटना स्पष्ट रूप से भारतीय रेलवे अधिनियम के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को दर्शाती है। इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा बल यात्रियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों और विनियमों को प्रभावी बनाने में भी अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन में पूरी तरह से विफल रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान घटना न केवल ‘एक्स’/महिलाओं के खिलाफ अपराध है, बल्कि पूरे समाज के खिलाफ है और यह महिलाओं के पूरे मनोविज्ञान को नष्ट कर देती है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने कार्यालय को पत्र को जनहित याचिका (आपराधिक) के रूप में पंजीकृत करने का निर्देश देना उचित समझा।
इस मामले को आज यानी 4.9.2023 को दोपहर 12:00 बजे सुनवाई होगी।
सुनवाई के समय, राज्य के वकील कोर्ट के समक्ष केस डायरी भी रखेंगे। जांच अधिकारी को भी अदालत के समक्ष उपस्थित रहना आवश्यक है।