इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
पीठ ने मुख्तार अंसारी के दूसरे बेटे अब्बास अंसारी की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें इसी मामले में आरोपपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने दोनों भाइयों द्वारा स्वतंत्र रूप से दायर दो याचिकाओं पर आदेश पारित किया।
अंसारी बंधुओं की ओर से दलील दी गई थी कि संपत्ति का म्यूटेशन उनके जन्म से पहले उनके पूर्वजों के नाम पर था और इसलिए उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।
राज्य के वकील ने दलील का विरोध किया था, यह तर्क देते हुए कि दोनों पर अपनी दादी के हस्ताक्षर करने का भी आरोप लगाया गया था और इसलिए, उनके खिलाफ एक स्पष्ट अपराध बनाया गया था।
मामले की प्राथमिकी राजस्व अधिकारी सुरजन लाल ने 27 अगस्त, 2020 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि मुख्तार और उनके बेटों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर खाली संपत्ति हड़प ली थी।
निष्क्रांत संपत्ति शब्द का उपयोग उन लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। ये आम तौर पर उन लोगों को आवंटित किए जाते हैं जो उस दौरान पाकिस्तान से भारत आए थे।