यूपी शहरी स्थानीय निकाय चुनावों की सुनवाई 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाएगी।
बुधवार को, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित आयोग ने प्रस्तुत किया था।
यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष इस मुद्दे को उठाया।
24 तारीख को खंडपीठ ने मामले पर विचार करने के लिए समय निर्धारित किया। मेहता ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (आर) राम अवतार सिंह ने तीन महीने से भी कम समय में राज्य के सभी 75 जिलों का दौरा करने के बाद इस महीने की शुरुआत में सीएम को रिपोर्ट सौंपी थी।
4 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव पर रोक लगा दी।
कई विसंगतियों का पता चला
सॉलिसिटर जनरल के अनुसार, आयोग ने 5 दिसंबर, 2022 को होने वाले शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण में कई विसंगतियों की खोज की और उन्हें हटाने की सिफारिश की है।
ट्रिपल टेस्ट की शर्त को पूरा करना जरूरी था
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण से पहले ‘ट्रिपल टेस्ट’ की शर्तों को पूरा करना होगा।
इसमें शर्तें हैं, जैसे पिछड़ेपन पर अनुभवजन्य डेटा एकत्र करने के लिए एक समर्पित आयोग की स्थापना, आयोग की सिफारिशों के आधार पर स्थानीय निकायों में आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना और एससी, एसटी और ओबीसी के लिए 50% से अधिक नहीं आरक्षण।