महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने अपनी महिला मित्र से बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपी 22 वर्षीय युवक को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ रचना टेहरा ने शुक्रवार को पारित आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे आरोपों को साबित करने में विफल रहा और इसलिए आरोपी को रिहा करने की जरूरत है।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपी और पीड़िता, तब 21 साल की उम्र में, पड़ोसी पालघर जिले के विक्रमगढ़ तालुका में एक ही गांव में रहते थे और 2014 में एक साथ कॉलेज जाते थे।
दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और आरोपी ने अलग-अलग मौकों पर महिला से कथित तौर पर बलात्कार किया और उससे शादी करने का वादा किया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, उनके बीच कुछ समय के लिए लिव-इन रिलेशनशिप भी था।
बाद में महिला नर्सिंग का कोर्स करने के लिए नासिक चली गई। जब वह घर लौटी तो उसे पता चला कि आरोपी ने बिना बताए दूसरी महिला से शादी कर ली है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसने फिर उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता सुखदेव पंढारे ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को मामले में झूठा फंसाया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाया है।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोपी के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है, और इसलिए उसे रिहा करने की जरूरत है, पंधारे ने कहा।