हाल ही में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अधिवक्ता से यह बताने के लिए कहा कि कैसे एक मुक़दमे में एक ही दिन के दो तरह के आदेश दाखिल किए गए है। कोर्ट ने मामले में यूपी बार काउंसिल को भी जाँच के आदेश दिये है।
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की खंडपीठ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3/7, धारा 409, 420, 467, 468, 471 आईपीसी, धारा 39-डी वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाएं) अधिनियम, 2016 और आईटी के 66-सी के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत अर्जी पर विचार कर रही थी।
इस मामले में पिछली सुनवाई में ए.जी.ए. बताया कि आवेदकों के प्रथम अग्रिम जमानत आवेदन में पारित एक ही तिथि के उनके अभिलेखों में कुछ भिन्न आदेश है।
खंडपीठ ने कहा कि साहसी या इसे शाब्दिक शब्दों में एक अधिवक्ता का ‘निष्ठाहीन’ कृत्य कहा जा सकता है, ऐसी विचित्र स्थिति में मेरी चेतना को इससे बचने की अनुमति नहीं देता है जहां संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति अनुपस्थिति की प्रथा को अपनाकर छिपाने की कोशिश कर रहा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि “अदालतों का हमेशा सम्मान और विश्वास होता है, यहां तक कि बार में एक वकील द्वारा दिए गए किसी भी मुखर बयान पर और शायद ही कभी उस पर अविश्वास व्यक्त करते हैं। हालांकि, मामला इस तरह की धारणा पर चलने के लिए अविश्वसनीयता की पर्याप्तता से भरा हुआ है, जो भविष्य में बेंच और बार के बीच इस तरह के प्रशंसनीय रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकता है।”
इसके अलावा, पीठ ने कहा कि ऐसे स्पेक्ट्रम पर बार के दिग्गजों के विचारों और सुझावों को आत्मसात करने के लिए जहां अधिवक्ताओं को पारंपरिक विश्वास की रक्षा के लिए व्यावसायिकता के संबंध में नैतिकता और नैतिक दायित्वों के साथ निर्देशित करने की आवश्यकता होती है, मामला 07 फरवरी 2023 को पोस्ट किया गया है।
हाईकोर्ट ने श्री आदित्य प्रसाद मिश्रा और श्री प्रदीप कुमार पांडेय को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया कि वे बताएं कि किस धारणा के तहत अलग-अलग आदेश रिकॉर्ड पर रखा गया है और यूपी बार काउंसिल द्वारा कार्यवाही शुरू करने के लिए क्यों नहीं कहा गया है।
खंडपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के अध्यक्ष और सचिव को मामले में उपरोक्त दोनों अधिवक्ताओं के आचरण पर गौर करने और निर्धारित अगली तारीख पर अदालत को अपनी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।
उपरोक्त के मद्देनजर, हाईकोर्ट ने मामले को 07 फरवरी 2023 को सूचीबद्ध किया।
केस का शीर्षक: संदीप कुमार विश्नोई और 3 अन्य बनाम यूपी राज्य। और दुसरी
बेंच: जस्टिस मंजू रानी चौहान
केस संख्या: आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन धारा 438 CR.P.C. संख्या – 2021 का 6819
आवेदक के वकील : प्रदीप कुमार पांडेय