ग्वालियर ज़िला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (District Consumer Disputes Redressal Commission) ने एक अहम फैसले में ज़ोमैटो प्राइवेट लिमिटेड और उसके स्थानीय विक्रेता “बर्गर बडी” को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया है। यह मामला एक शाकाहारी उपभोक्ता को गलती से मांसाहारी भोजन डिलीवर करने से जुड़ा था।
मामले की पृष्ठभूमि
यह शिकायत (मामला संख्या: CC/137/2024) ग्वालियर निवासी आशीष शर्मा ने, अपने अधिवक्ता आदित्य शर्मा के माध्यम से, ज़ोमैटो प्राइवेट लिमिटेड और रेस्टोरेंट “बर्गर बडी” के खिलाफ दायर की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि 2 फरवरी 2024 को आशीष शर्मा ने ज़ोमैटो ऐप के माध्यम से एक शाकाहारी बर्गर का ऑर्डर दिया था, लेकिन उसे जो भोजन मिला उसमें मांसाहारी सामग्री थी।
शर्मा के अनुसार, भोजन करने के बाद उन्हें इस गलती का अहसास हुआ, जिससे उन्हें गहरी मानसिक पीड़ा हुई और उनके धार्मिक विश्वासों का उल्लंघन हुआ। उन्होंने तुरंत ज़ोमैटो की कस्टमर सर्विस में शिकायत दर्ज कराई। ज़ोमैटो ने ₹175 की राशि लौटाई और ₹500 का डिस्काउंट कूपन दिया, लेकिन शर्मा ने इसे अपर्याप्त मानते हुए उपभोक्ता फोरम का रुख किया।

ज़ोमैटो और रेस्टोरेंट का पक्ष
ज़ोमैटो ने बचाव में कहा कि वह केवल एक मध्यस्थ (intermediary) है जो उपभोक्ताओं और रेस्टोरेंट्स को जोड़ता है, और भोजन की तैयारी उसकी जिम्मेदारी नहीं है। वहीं, बर्गर बडी रेस्टोरेंट ने दावा किया कि उन्होंने वही ऑर्डर तैयार किया जो उन्हें सिस्टम में प्राप्त हुआ था। उन्होंने यह भी संदेह जताया कि संभव है ऑर्डर में बदलाव किया गया हो या भोजन किसी अन्य स्रोत से आया हो।
अदालत की टिप्पणियां और निष्कर्ष
साक्ष्यों, गवाहों और ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड की जांच के बाद, आयोग ने ज़ोमैटो और बर्गर बडी दोनों को दोषी ठहराया और कहा कि:
- ज़ोमैटो को एक ऑनलाइन एग्रीगेटर होने के नाते यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि उपभोक्ता को सही ऑर्डर प्राप्त हो।
- रेस्टोरेंट की जिम्मेदारी थी कि वह सही ऑर्डर के अनुसार भोजन तैयार और पैक करे।
- यह त्रुटि शिकायतकर्ता के मानसिक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली थी, जिससे उनके उपभोक्ता अधिकारों का हनन हुआ।
फैसला और मुआवज़ा
20 मार्च 2025 को, अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, सदस्य श्रीमती सुहाना घोष पांडे और श्री जितेन्द्र मेनन की पीठ ने अंतिम आदेश पारित किया। आयोग ने ज़ोमैटो और बर्गर बडी को संयुक्त रूप से निम्नलिखित भुगतान करने का निर्देश दिया:
- मानसिक पीड़ा और असुविधा के लिए ₹5,000 प्रति पक्ष
- वाद व्यय के लिए ₹1,000 प्रति पक्ष
यह राशि आदेश की तारीख से 45 दिनों के भीतर अदा करनी होगी।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने आदेश की प्रति को आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया, ताकि अन्य उपभोक्ताओं को जागरूक किया जा सके।