न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सरकारी आवास पर नकदी बरामदगी के मामले में इन-हाउस पैनल के अभियोग के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार किया 

दिल्ली स्थित सरकारी आवास में कथित रूप से बेहिसाब नकदी मिलने के आरोपों की जांच करने वाली सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने के बावजूद हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा को या तो त्यागपत्र देने या महाभियोग की प्रक्रिया का सामना करने के लिए कहा था। लेकिन न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा पद छोड़ने से इनकार करने के चलते, अब CJI ने समिति की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा की प्रतिक्रिया राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को औपचारिक रूप से भेज दी है।

यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निर्धारित इन-हाउस व्यवस्था के अनुरूप है, जिसके तहत यदि कोई जज जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देता है, तो मुख्य न्यायाधीश मामले को सरकार के पास भेजते हैं। अब यह मामला केंद्र सरकार और संसद के पास है, जो न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।

जांच समिति का गठन और रिपोर्ट

यह तीन सदस्यीय जांच समिति 22 मार्च 2025 को मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित की गई थी। इसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागु, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थीं। समिति ने 25 मार्च को जांच शुरू की और 4 मई को अपनी रिपोर्ट CJI को सौंप दी।

यह मामला 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग लगने की घटना से जुड़ा है, जिसमें दमकलकर्मियों को कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी जलती हुई मिली थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी मध्यप्रदेश में यात्रा पर थे; घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध माता थीं। बाद में नकदी जलने का वीडियो वायरल हुआ, जिससे भ्रष्टाचार के आरोप लगे।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में जम्मू-कश्मीर के सांसद एर राशिद की जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का आदेश दिया 

न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों से इनकार करते हुए इसे “फंसाने की साजिश” करार दिया।

अभूतपूर्व प्रकटीकरण और प्रशासनिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में असाधारण कदम उठाते हुए वीडियो को सार्वजनिक किया और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की प्राथमिक रिपोर्ट व न्यायमूर्ति वर्मा की प्रतिक्रिया को भी साझा किया।

इसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया, जहां उन्होंने हाल ही में पद की शपथ ली। हालांकि, CJI के निर्देश पर उनके न्यायिक कार्य को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने उनकी वापसी के विरोध में हड़ताल की थी।

READ ALSO  कानूनों को लागू करने के लिए न्यायालयों ने सक्रिय कदम उठाए हैं: सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश नरसिम्हा

कानूनी प्रक्रिया और वर्तमान स्थिति

जांच लंबित होने के कारण, सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक पक्ष पर यह कहते हुए एफआईआर दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी कि यह मामला इन-हाउस जांच समिति द्वारा विचाराधीन है।

इसी दौरान, खबर है कि न्यायमूर्ति वर्मा ने वरिष्ठ वकीलों से कानूनी सलाह भी ली।

अब जब यह मामला औपचारिक रूप से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जा चुका है, तो न्यायमूर्ति वर्मा के विरुद्ध महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय केंद्र सरकार और संसद पर निर्भर करेगा।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles