X का कर्नाटक हाईकोर्ट में खुलासा: छह महीनों में 26,000 से अधिक पोस्ट हटाए, ‘सहयोग’ पोर्टल के इस्तेमाल को बताया असंवैधानिक

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) ने कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया है कि जनवरी से जून 2025 के बीच उसे सरकार की ओर से 29,118 कंटेंट-रिमूवल अनुरोध मिले, जिनमें से उसने 26,641 पर कार्रवाई की। यह 91.49% की अनुपालन दर है। कंपनी ने कहा कि ये आंकड़े उस एकल-न्यायाधीश की 24 सितंबर की टिप्पणी का खंडन करते हैं, जिसमें कहा गया था कि प्लेटफॉर्म भारतीय कानून का पालन नहीं करना चाहता।

यह डेटा X कॉर्प की उस रिट अपील का हिस्सा है, जिसमें उसने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ‘सहयोग’ पोर्टल को वैध ठहराने वाले आदेश को चुनौती दी है। यह पोर्टल सरकारी एजेंसियों को ऑनलाइन माध्यम से इंटरमीडियरी कंपनियों को कंटेंट हटाने के निर्देश जारी करने की सुविधा देता है।

अपील में X ने कहा कि केंद्र और राज्य स्तर की एजेंसियां सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) और 2021 आईटी नियमों के नियम 3(1)(d) का गलत प्रयोग करते हुए कंटेंट हटाने के आदेश जारी कर रही हैं।

कंपनी का कहना है कि धारा 69A ही भारत में ऑनलाइन कंटेंट ब्लॉकिंग की एकमात्र वैधानिक प्रक्रिया है। इस व्यवस्था को सर्वोच्च न्यायालय ने श्रेया सिंघल बनाम संघ सरकार (2015) में पूरी तरह वैध माना था।

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X ने धारा 79 को केवल “सेफ हार्बर” प्रावधान बताया, जो इंटरमीडियरी को दायित्व से सुरक्षा देता है, न कि सरकार को कंटेंट हटाने का आदेश देने का अधिकार।

X ने 31 अक्टूबर 2023 के उस आंतरिक MeitY मेमो को भी चुनौती दी, जिसमें कथित तौर पर केंद्र और राज्य सरकारों के हजारों अधिकारियों को धारा 79(3)(b) और नियम 3(1)(d) के तहत ब्लॉकिंग निर्देश जारी करने की अनुमति दी गई थी।

कंपनी के मुताबिक यह प्रक्रिया धारा 69A के कड़े सुरक्षा उपायों को दरकिनार करती है, जिनमें शामिल हैं—

  • कारणयुक्त आदेश जारी करना
  • केवल अनुच्छेद 19(2) के सीमित आधार
  • 2009 ब्लॉकिंग नियमों में निर्धारित प्रक्रिया
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X ने आरोप लगाया कि गृह मंत्रालय ने MeitY के निर्देश पर एक गोपनीय ‘सहयोग’ पोर्टल बनाया, जिसके माध्यम से ऐसे आदेश बिना वैधानिक आधार और बिना पारदर्शिता के जारी किए जा रहे हैं।

कंपनी ने कहा कि इस प्रणाली का उपयोग कई बार राजनीतिक आलोचना, समाचार रिपोर्ट, पैरोडी और अन्य वैध अभिव्यक्ति को हटाने के लिए किया गया।

X का कहना है कि नियम 3(1)(d) में वे सभी सुरक्षा उपाय नहीं हैं जिनका उल्लेख संसद ने धारा 69A में किया है। एक कम कठोर व्यवस्था के जरिए कंटेंट ब्लॉक करने की अनुमति देना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और धारा 69A को निष्प्रभावी कर देता है।

कंपनी ने यह भी कहा कि एकल-न्यायाधीश ने श्रेया सिंघल फैसले की गलत व्याख्या की और यह मान लिया कि 2021 आईटी नियम लागू होने के बाद उसका प्रभाव कम हो गया है।

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X के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज भी पूर्णतः लागू है क्योंकि जिन वैधानिक प्रावधानों की उसने व्याख्या की—धारा 69A, धारा 79 और 2009 ब्लॉकिंग नियम—वे बदले नहीं हैं।

अपील में X ने अनुरोध किया है कि सरकार को कंटेंट ब्लॉकिंग केवल धारा 69A की प्रक्रिया के तहत ही करने का निर्देश दिया जाए। मामले की आगे की सुनवाई कर्नाटक हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा की जाएगी।

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