इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आपके हाल के एक निर्णय में कहा कि बच्चे की अभिरक्षा सौंपते समय बच्चे का हित देखना सर्वोपरिय है । कोर्ट ने एक मामले में पति की हत्या में आरोपित पत्नी को दो साल की बेटी की अभिरक्षा सौंपने से इनकार कर दिया है।
ज्ञानमती कुशवाहा (माँ), जिसके ख़िलाफ़ पति की हत्या का मुक़दमा चल रहा है, उसने अपनी दो साल की बच्ची की अभिरक्षा की माँग हेतु याचिका दायर की, जोकि अपने बाबा के साथ रह रही है।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि यदि याची माँ बरी हो जाती है तो वो सक्षम न्यायालय के सामने अभिरक्षा की माँग कर सकती है, जिस पर कोर्ट निर्णय देगी ।
याची का कहना था कि उसने कृष्ण कुशवाहा से प्रेम विवाह किया था , जिससे परिवार नाखुश था। याची अपने पति के साथ मुंबई में रहती थी जहां उनकी बेटी का जन्म हुआ।
11 मई 2018 को याची का पति अपने पैतृक निवास झांसी आया, फिर 13 मई को मामा कमल कुशवाहा का फोन आया कि उसके पति की मौत हो गई है। जब वह झांसी पहुँची तो पुलिस ने पति की हत्या के आरोप में उसे गिरफ्तार कर लिया।
बाद में ज्ञानमती कुशवाहा को जमानत मिल गयी, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की अभिरक्षा मांगी। परंतु हाईकोर्ट ने अपराध में लिप्तता को देखते हुए राहत देने से इनकार कर दिया है।
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