उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में अब तक कोई कानूनी कार्रवाई न होने पर कड़ा एतराज जताया है। केरल दौरे के दौरान नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ (NUALS), कोच्चि में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने इस घटना को “भीषण अपराध” करार दिया और शीघ्र कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
धनखड़ ने मार्च में दिल्ली स्थित न्यायाधीश के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद वहां से भारी मात्रा में नकदी मिलने का जिक्र करते हुए कहा, “क्या यह धन अवैध है? इसका स्रोत क्या है? यह एक न्यायाधीश के आवास में कैसे पहुँचा? इसका असली मालिक कौन है?”
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में त्वरित आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए थी। “जब इतनी बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है, तो तंत्र को तुरंत सक्रिय हो जाना चाहिए। पहला कदम आपराधिक कृत्य के रूप में जांच शुरू करना होना चाहिए था, दोषियों की पहचान कर उन्हें कानून के कटघरे में लाना चाहिए था। लेकिन आज तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है,” उन्होंने कहा।

धनखड़ ने बताया कि केंद्र सरकार एक पुराने न्यायिक निर्णय के कारण कार्रवाई करने में असमर्थ है। “90 के दशक की शुरुआत में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के कारण केंद्र सरकार एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती, जब तक कि न्यायपालिका से पूर्व अनुमति न हो।”
न्यायपालिका में अंदरूनी गिरावट का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा, “14 और 15 मार्च की रात न्यायपालिका के लिए ‘आइड्स ऑफ मार्च’ थी — एक भयावह समय।”
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के प्रबल पक्षधर हैं, लेकिन जब सामने कोई गंभीर मामला हो, तो जवाबदेही से समझौता नहीं किया जा सकता। “मैं न्यायपालिका की स्वतंत्रता का समर्थक हूं। मैं न्यायाधीशों को अनुचित मुकदमों से बचाने के पक्ष में हूं। लेकिन जब इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं, तो यह बेहद चिंताजनक हो जाता है।”
इससे पहले, 4 जून को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने घोषणा की थी कि सरकार संसद के मानसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। वर्मा एक सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति की जांच के दायरे में हैं, जो उनके आवास से जले हुए बोरियों में नकदी मिलने की घटना की जांच कर रही है।