वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी योजना पर विचार करे बार काउंसिल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिहार मॉडल का दिया हवाला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर संज्ञान लिया है जिसमें 35 से 40 साल तक वकालत कर चुके अधिवक्ताओं के लिए एक कल्याणकारी योजना बनाने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल को यह निर्देश दिया है कि वह बिहार में अधिवक्ताओं के लिए लागू पेंशन और पारिवारिक पेंशन योजना की तर्ज पर एक योजना बनाने की संभावना पर विचार करे और इस संबंध में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

यह निर्देश अदालत ने अधिवक्ता श्री राजेंद्र श्रीवास्तव द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें वे स्वयं उपस्थित हुए। याचिका को आगे की सुनवाई के लिए जबलपुर स्थित मुख्य पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि

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याचिकाकर्ता श्री राजेंद्र श्रीवास्तव ने जनहित याचिका (WP संख्या 26638/2025) दायर कर यह तर्क दिया कि स्टेट बार काउंसिल को उन अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए एक योजना बनानी चाहिए जिन्होंने अपने जीवन के 35 से 40 वर्ष कानूनी पेशे को समर्पित कर दिए हैं।

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याचिकाकर्ता के तर्क

याचिकाकर्ता श्री श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दलील दी कि अधिवक्ता न्याय प्रणाली का एक अभिन्न अंग हैं और न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने तर्क दिया कि लंबी सेवा के बाद भी, “उनके करियर के अंतिम पड़ाव पर जब वे कठिनाइयों का सामना करते हैं,” तो उनके लिए कोई भी सहायता तंत्र मौजूद नहीं है।

अपनी दलीलों को पुख्ता करने के लिए, याचिकाकर्ता ने अदालत का ध्यान बिहार में लागू एक समान योजना की ओर आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि “बिहार स्टेट बार काउंसिल ने ‘बिहार स्टेट बार काउंसिल अधिवक्ता कल्याण योजना, 2012’ तैयार की है, जिसमें अधिवक्ताओं और उनके परिवारों के लिए पेंशन और पारिवारिक पेंशन का प्रावधान है।” इस योजना के नियमों की एक प्रति अदालत के समक्ष प्रस्तुत की गई, जिसे रिकॉर्ड पर ले लिया गया।

न्यायालय का विश्लेषण और आदेश

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याचिकाकर्ता की प्रारंभिक दलीलें सुनने के पश्चात, हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। राज्य सरकार (प्रतिवादी संख्या 1) की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री आनंद सोनी ने और प्रतिवादी संख्या 3 की ओर से अधिवक्ता श्री एन.एस. भाटी ने नोटिस स्वीकार किया। अदालत ने प्रतिवादी संख्या 2 को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया।

खंडपीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत बिहार पेंशन योजना के नियमों की एक प्रति मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल को उपलब्ध कराई जाए। अदालत ने अपने आदेश में काउंसिल को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा, “स्टेट बार काउंसिल इस बात पर विचार करेगी कि क्या मध्य प्रदेश के अधिवक्ताओं के लिए भी इसी तरह की योजना बनाई जा सकती है, और इस पर एक रिपोर्ट इस न्यायालय को प्रस्तुत करे।”

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अदालत ने यह देखते हुए कि याचिका में मुख्य राहत मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल से मांगी गई है, जिसका कार्यालय जबलपुर में है, मामले को जबलपुर स्थानांतरित करने का आदेश दिया। आदेश में कहा गया, “चूंकि मुख्य राहत मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल, जिसका कार्यालय जबलपुर में है, से मांगी गई है, इसलिए इस याचिका को जबलपुर स्थित मुख्य पीठ में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाता है।”

मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर, 2025 को जबलपुर स्थित मुख्य पीठ में खंडपीठ-I के समक्ष होगी।

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