वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में एक अहम मोड़ आया है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है, जिसमें हाल ही में पारित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी गई है। यह याचिका AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दाखिल की गई है।
उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए जिम्मेदार बोर्ड ने कहा है कि इस मामले में उसका महत्वपूर्ण हित निहित है और वह अदालत की सहायता करना चाहता है ताकि अधिनियम से जुड़े कानूनी और तथ्यों से संबंधित मुद्दों को ठीक प्रकार से प्रस्तुत किया जा सके।
बोर्ड की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया है कि राज्य में इस समय 5,317 वक्फ संपत्तियाँ पंजीकृत हैं। बोर्ड ने दावा किया कि हाल के वर्षों में वक्फ संपत्तियों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि पर सवाल उठते हैं, जिससे इन दान की वास्तविकता और तीसरे पक्ष द्वारा कब्जा किए जाने जैसे मुद्दों पर गंभीर चिंता जताई गई है।

बोर्ड ने कहा, “राज्य में वक्फ संपत्तियों की अचानक बढ़ोतरी इन दान की प्रामाणिकता पर प्रश्नचिह्न लगाती है। साथ ही कई वक्फ संपत्तियों पर तीसरे पक्ष द्वारा अवैध कब्जा किया गया है।”
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि उसे इस मामले में अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए ताकि वह अधिनियम के प्रभाव और वक्फ संपत्तियों से जुड़े जमीनी पहलुओं को सामने रख सके।