उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महिला अधिवक्ता को सोशल मीडिया पर मिली धमकियों के मामले में फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जवाब मांगा है। अदालत ने इन मंचों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में अपना पक्ष पेश करें।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने यह आदेश उस मामले की सुनवाई के दौरान दिया, जिसे अदालत ने पहले स्वतः संज्ञान (suo motu) में लिया था। अदालत ने देहरादून की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को भी पक्षकार बनाया है।
इससे पहले, जब अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया था, तब उसने नैनीताल के एसएसपी को निर्देश दिया था कि अधिवक्ता और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। वर्तमान में अधिवक्ता को पुलिस सुरक्षा प्रदान कर दी गई है।
अदालत ने साइबर अपराध के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को भी आदेश दिया है कि वे अधिवक्ता के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए भड़काऊ और धमकी भरे संदेशों को हटाएं और ऐसे पोस्ट करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।
मामले के अनुसार, जिस व्यक्ति पर अधिवक्ता को धमकी देने का आरोप है, उसकी पहचान अख्तर अली के रूप में हुई है। अली को पहले पिथौरागढ़ की एक महिला के बलात्कार और हत्या के मामले में हल्द्वानी की ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे मृत्युदंड दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अख्तर अली के जेल से छूटने के बाद ही अधिवक्ता को सोशल मीडिया पर धमकियां मिलने लगीं। इस पर हाईकोर्ट ने अधिवक्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सोशल मीडिया मंचों की जवाबदेही तय करने के लिए हस्तक्षेप किया।




