उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया कि क्या ऐसा अधिकारी जो अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान नहीं रखता, वह कार्यपालिका पद (Executive Position) को प्रभावी रूप से संभाल सकता है।
यह मामला उस समय सामने आया जब नैनीताल के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM), जो कि निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी भी हैं, कोर्ट की कार्यवाही के दौरान हिंदी में उत्तर देने लगे। मुख्य न्यायाधीश गुहनाथन नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने अंग्रेज़ी के स्थान पर हिंदी में जवाब क्यों दिया। इस पर ADM ने कहा कि वह अंग्रेज़ी समझ सकते हैं लेकिन धाराप्रवाह बोल नहीं पाते।
इस पर अदालत ने राज्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे जांच कर बताएं कि क्या अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान न रखने वाला ADM स्तर का अधिकारी प्रशासनिक पद पर कार्य कुशलता से कार्य कर सकता है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को 28 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अगली सुनवाई में उपस्थित होकर इस सवाल का जवाब देने को कहा है।

यह स्थिति उस PIL की सुनवाई के दौरान उत्पन्न हुई जिसमें नैनीताल जिले के बुधलाकोट ग्रामसभा के पंचायत चुनावों की मतदाता सूची में बाहरी व्यक्तियों के नाम जोड़े जाने पर सवाल उठाया गया है। याचिकाकर्ता आकाश बोरा ने दावा किया कि गांव की मतदाता सूची में 82 ऐसे लोगों के नाम हैं जो ग्रामसभा के निवासी नहीं हैं, जिनमें से कई ओडिशा, दिल्ली, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे स्थानों से हैं।
शिकायत के बाद उपजिलाधिकारी (SDM) ने एक तथ्यान्वेषण समिति गठित की, जिसने पाया कि सूची में शामिल 18 व्यक्ति बाहरी हैं। इसके बावजूद, अंतिम मतदाता सूची से इन नामों को हटाया नहीं गया।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट को ऐसे 30 और बाहरी लोगों की सूची सौंपी, लेकिन PIL के अनुसार, लगातार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से यह भी पूछा कि इन व्यक्तियों को क्षेत्र का निवासी मानने के लिए क्या आधार अपनाया गया। चुनाव अधिकारी ने बताया कि नाम परिवार रजिस्टर के आधार पर जोड़े गए। इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि पंचायती राज अधिनियम के तहत जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र परिवार रजिस्टर की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज माने जाते हैं।
गौरतलब है कि इस मामले जैसे पंचायत चुनाव से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अब तक 25 से अधिक याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।