उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने शुक्रवार को यहां दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून के छात्रों से कहा कि साधु या शैतान, मुवक्किलों को व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के आधार पर नहीं, बल्कि उनके मामले के आधार पर आंकें।
न्यायमूर्ति धूलिया विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर में 19वें के के लूथरा मेमोरियल मूट कोर्ट के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि जब वे कानूनी पेशे में शामिल हों तो अपने मुवक्किलों का बचाव करना सीखें।
न्यायमूर्ति धूलिया ने छात्र से कहा, “आपके मुवक्किल कभी-कभी संत या शैतान हो सकते हैं, लेकिन आपको उन्हें व्यक्तियों के रूप में नहीं बल्कि उनके मामलों के आधार पर आंकना होगा। अंतत: एक मामले का फैसला एक न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।”
प्रसिद्ध विधिवेत्ता और फौजदारी वकील के के लूथरा की स्मृति में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट का समापन 19 फरवरी को होगा।