लखनऊ | 24 जुलाई 2025 — उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले परिषदीय स्कूलों के विलय के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक सीतापुर जनपद में मौजूदा स्थिति को बरकरार रखने को आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
इससे पहले 7 जुलाई को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार के फैसले को वैध ठहराया था। लेकिन अब डिवीजन बेंच उस आदेश के खिलाफ सुनवाई कर रही है।
सरकार का आदेश और उसका विरोध
16 जून 2025 को बेसिक शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि जिन सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 8 तक) में छात्रों की संख्या 50 से कम है, उन्हें नजदीकी बड़े या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज किया जाए।

सरकार ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2020 के तहत लिया गया है, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
लेकिन इस आदेश को सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने 1 जुलाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। एक अन्य याचिका 2 जुलाई को दाखिल हुई। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह आदेश शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि छोटे बच्चों के लिए दूर-दराज के स्कूलों तक पहुंचना मुश्किल होगा। इससे न सिर्फ पढ़ाई बाधित होगी बल्कि असमानता भी बढ़ेगी।
कुछ स्कूलों के रास्ते में नदी, नाला, हाइवे या रेलवे लाइन भी हो सकते हैं, जिससे बच्चों की सुरक्षा को खतरा होगा।
सिंगल बेंच का आदेश और अब डिवीजन बेंच में सुनवाई
इस मामले में 3 और 4 जुलाई को सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने 7 जुलाई को फैसला सुनाते हुए कहा था:
“यह निर्णय बच्चों के हित में है। जब तक कोई नीति असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो, उसे चुनौती नहीं दी जा सकती।”
लेकिन अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच मामले में सुनवाई कर रही है।
सरकार की योजना: कम स्कूल, बेहतर सुविधाएं
सरकार का दावा है कि वह प्रदेश के हर जिले में एक मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय (कक्षा 1 से 8) और एक मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट स्कूल (कक्षा 1 से 12) स्थापित कर रही है।
इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर रूम, पुस्तकालय, टॉयलेट, मिड-डे मील किचन, सीसीटीवी, वाई-फाई, ओपन जिम और शुद्ध पेयजल जैसी आधुनिक सुविधाएं दी जाएंगी।
अभ्युदय स्कूलों में 450 और मॉडल स्कूलों में कम से कम 1500 छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी।
अब यह मामला 21 अगस्त को फिर से हाईकोर्ट में सुना जाएगा।