एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और दो अन्य को 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और छह अन्य को मामले में बरी कर दिया गया है।
सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने कहा कि विशेष सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला ने अहमद, एक वकील सौलत हनीफ और दिनेश पासी को मामले में दोषी ठहराया।
अग्रहरी ने कहा कि तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364-ए (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया था।
धारा के तहत अधिकतम सजा मौत की सजा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने समाजवादी पार्टी पर अतीक अहमद जैसे माफियाओं को माला पहनाने का आरोप लगाया था और राज्य विधानसभा में कहा था कि “माफिया (अतीक अहमद) को मिट्टी में मिला दूंगा।”
25 जनवरी, 2005 को तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल ने पुलिस को बताया था कि वह हत्या का चश्मदीद था।
उमेश पाल ने आरोप लगाया था कि जब उसने अहमद के दबाव में पीछे हटने और झुकने से इनकार कर दिया, तो 28 फरवरी, 2006 को बंदूक की नोक पर उसका अपहरण कर लिया गया।
मामले में 5 जुलाई 2007 को अहमद, उनके भाई और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें से एक की बाद में मौत हो गई।
अहमद और अशरफ पर उमेश पाल को मारने की साजिश में शामिल होने का भी आरोप है, जब वे दोनों जेल में थे। उमेश पाल की गत 24 फरवरी को उनके प्रयागराज स्थित आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले, अहमद, अशरफ और अन्य को नैनी जेल से अलग-अलग पुलिस वैन में अदालत लाया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया।
दोनों को दो अलग-अलग जेलों से लंबी सड़क यात्रा के बाद सोमवार को यहां नैनी सेंट्रल जेल लाया गया।
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने इससे पहले कहा था कि वह अदालत नहीं जाएंगी, लेकिन ‘प्रार्थना’ करेंगी कि अहमद को मृत्युदंड मिले।
जया पाल ने संवाददाताओं से कहा, “मैं अदालत नहीं जा रही हूं। मैं अपने घर में रहूंगी और अहमद के लिए मृत्युदंड की प्रार्थना करूंगी। अगर उन्हें आजीवन कारावास मिलता है, तो वे वही करना जारी रखेंगे जो उन्होंने मेरे पति के साथ किया।”
उमेश पाल की पत्नी की शिकायत पर प्रयागराज के धूमनगंज थाने में अहमद, उसके भाई, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
फूलपुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अहमद को जून 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात की साबरमती सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
पुलिस ने कहा कि वह उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद है।