लखनऊ की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सुनवाई में बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण 200 रुपये का जुर्माना लगाया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) कोर्ट ने बुधवार को यह जुर्माना लगाया और चेतावनी दी कि यदि वह 14 अप्रैल 2025 को अदालत में पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
यह मामला 17 दिसंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक विवादित बयान से जुड़ा है। शिकायतकर्ता नृपेंद्र पांडेय का आरोप है कि राहुल गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का अपमान करते हुए उन्हें “अंग्रेजों का नौकर” और “पेंशन लेने वाला” कहा था। पांडेय का कहना है कि यह बयान समाज में वैमनस्य और घृणा फैलाने के इरादे से दिया गया था। इतना ही नहीं, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पहले से तैयार पर्चे भी पत्रकारों के बीच वितरित किए गए थे, जिससे भारतीय दंड संहिता की धारा 153(ए) और 505 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की ओर से उनके वकील प्रांशु अग्रवाल ने अदालत में पेशी से छूट की अर्जी दाखिल की। उन्होंने दलील दी कि राहुल गांधी इस समय लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्यरत हैं और 5 मार्च को उनकी एक विदेशी गणमान्य व्यक्ति के साथ पूर्व निर्धारित मुलाकात थी। आधिकारिक कार्यों में व्यस्त होने के कारण वे अदालत में उपस्थित नहीं हो सके। वकील ने यह भी कहा कि गांधी अदालत के आदेशों का सम्मान करते हैं और जानबूझकर पेशी से बचने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।

अदालत ने राहुल गांधी की अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए 200 रुपये का जुर्माना लगाया और स्पष्ट रूप से आदेश दिया कि उन्हें 14 अप्रैल 2025 को अनिवार्य रूप से अदालत में पेश होना होगा। अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि यदि वे अगली सुनवाई में भी गैरहाजिर रहते हैं, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जा सकता है।