वाहन का पंजीकरण न कराने पर बीमा दावा रद्द: उपभोक्ता न्यायालय ने अपील खारिज की

हरियाणा के राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने करनाल निवासी ज्योति सागर की एलएंडटी इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ ट्रैक्टर चोरी से संबंधित विवादित बीमा दावे की अपील खारिज कर दी है। न्यायालय ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, करनाल के निर्णय को बरकरार रखा, जिसने सागर की शिकायत को खारिज कर दिया था, जिसमें चोरी होने से पहले ट्रैक्टर का पंजीकरण न कराने का हवाला दिया गया था।

मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता ज्योति सागर ने 3 अप्रैल, 2015 को एलएंडटी फाइनेंस लिमिटेड से ऋण-सह-हाइपोथेकेशन समझौते के तहत वित्तीय सहायता लेकर सोनालीका ट्रैक्टर खरीदा था। ट्रैक्टर का उसी दिन एलएंडटी इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ बीमा कराया गया था, जिसका बीमा 2 अप्रैल, 2016 तक वैध था।

2 सितंबर, 2015 को ट्रैक्टर चोरी हो गया, जिसके कारण सागर ने आईपीसी की धारा 379 के तहत एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद उन्होंने एलएंडटी इंश्योरेंस के पास दावा दायर किया, उम्मीद थी कि बीमा राशि दो महीने के भीतर उनके ऋण खाते में जमा हो जाएगी। हालांकि, जब दावे पर कार्रवाई नहीं की गई, तो सागर ने एलएंडटी इंश्योरेंस और एलएंडटी फाइनेंस द्वारा सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की।

शामिल कानूनी मुद्दे

मुख्य मुद्दे बीमाकर्ता द्वारा दावे का सम्मान करने से इनकार करने और सागर द्वारा ट्रैक्टर को पंजीकृत न करने के कानूनी निहितार्थों के इर्द-गिर्द घूमते हैं:

1. वाहन का गैर-पंजीकरण: सागर ने खरीद के बाद आवश्यक 30 दिनों के भीतर अपने नाम पर ट्रैक्टर पंजीकृत नहीं किया, जो कानून द्वारा अनिवार्य है। इस गैर-अनुपालन ने मामले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि अदालत ने निर्धारित किया कि यह विफलता बीमा पॉलिसी का एक मौलिक उल्लंघन है।

2. दावे की समयबद्धता: बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि कोई औपचारिक दावा दर्ज नहीं किया गया था, और चोरी के 27 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई थी, जिससे दावे की वैधता और समयबद्धता पर सवाल उठे।

3. अधिकार क्षेत्र और मध्यस्थता: एलएंडटी फाइनेंस ने तर्क दिया कि शिकायत सुनवाई योग्य नहीं थी, क्योंकि इसे ऋण समझौते के अनुसार मध्यस्थता के माध्यम से हल किया जाना चाहिए था। कंपनी ने यह भी तर्क दिया कि बीमा दावे को पूरा करने के लिए उसका कोई वैधानिक दायित्व नहीं था, जो कि सागर और बीमाकर्ता के बीच का मामला था।

न्यायालय की टिप्पणियाँ और निर्णय

न्यायिक सदस्य श्री नरेश कत्याल और सदस्य श्री एस.सी. कौशिक की पीठ ने सागर की अपील में कोई योग्यता नहीं पाई। न्यायालय ने निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

– ट्रैक्टर का पंजीकरण न होना: न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि चोरी से पहले ट्रैक्टर का पंजीकरण न होना सागर को जोखिम और संकट में डालता है, जिससे बीमा पॉलिसी के तहत लाभ का दावा करने का उसका अधिकार समाप्त हो जाता है। न्यायालय ने नरिंदर सिंह बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया, जिसने स्थापित किया कि उचित पंजीकरण के बिना वाहन चलाना मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपराध और बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन दोनों है।

– कानूनी नोटिस का जवाब न देना: सागर की यह दलील कि बीमाकर्ता और वित्तपोषक द्वारा उनके कानूनी नोटिस का जवाब न देना दायित्व की स्वीकृति है, खारिज कर दी गई। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि केवल लिखित बयान या उत्तर में बताए गए तथ्यों को ही स्वीकृति माना जा सकता है, न कि अनुत्तरित कानूनी नोटिस में दिए गए तथ्यों को।

– सेवा में कोई कमी नहीं: न्यायालय ने पुष्टि की कि प्रतिवादियों की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं थी, क्योंकि सागर द्वारा ट्रैक्टर का पंजीकरण न कराना और एफआईआर में देरी करना बीमा दावे को अस्वीकार करने के निर्णय में महत्वपूर्ण थे।

जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी गई। निर्णय में यह सुनिश्चित करने के लिए कि बीमा दावे वैध और लागू करने योग्य हैं, वाहन पंजीकरण जैसी वैधानिक आवश्यकताओं का पालन करने के महत्व को रेखांकित किया गया है।

प्रतिनिधित्व

श्री गोबिंद चौहान ने अपीलकर्ता ज्योति सागर का प्रतिनिधित्व किया, जबकि प्रतिवादियों, एलएंडटी इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और एलएंडटी फाइनेंस लिमिटेड का प्रतिनिधित्व क्रमशः श्री विशाल अग्रवाल और श्री गौरव शर्मा ने किया।

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केस विवरण

– केस संख्या: प्रथम अपील संख्या 596/2018

– न्यायाधीश: श्री नरेश कत्याल (न्यायिक सदस्य), श्री एस.सी. कौशिक (सदस्य)

– पक्ष: ज्योति सागर (अपीलकर्ता) बनाम एलएंडटी इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और एलएंडटी फाइनेंस लिमिटेड (प्रतिवादी)

– निर्णय की तिथि: 16 अगस्त, 2024

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