बॉम्बे हाईकोर्ट ने एलएंडटी को ठुकराया, ठाणे टनल-एलिवेटेड रोड टेंडर विवाद में बोली खोलने की अनुमति दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को ठाणे-घोड़बंदर से भायंदर तक बनने वाले टनल और एलिवेटेड रोड परियोजना के टेंडर प्रक्रिया को लेकर एलएंडटी द्वारा दायर याचिकाओं पर राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) को वित्तीय बोलियों को खोलने की अनुमति दे दी, जो इस ₹6,000 करोड़ की परियोजना में अंतिम चरण है।

छुट्टीकालीन पीठ ने अंतरिम स्थगन जारी रखने से किया इनकार
न्यायमूर्ति कमल खाटा और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की छुट्टीकालीन पीठ ने पिछले सप्ताह दिए गए उस अंतरिम आदेश को जारी रखने से इनकार कर दिया, जिसमें एमएमआरडीए को 13 मई को खुलने वाली वित्तीय बोलियां खोलने से रोका गया था।

हालांकि अदालत ने एलएंडटी की याचिकाएं खारिज करते हुए निर्देश दिया कि एमएमआरडीए कंपनी की वित्तीय बोली को एक सप्ताह के लिए सीलबंद लिफाफे में संरक्षित रखे, ताकि कंपनी के प्रस्ताव को अस्थायी रूप से सुरक्षित रखा जा सके।

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बोली की स्थिति पर विवाद
एलएंडटी ने दो याचिकाओं के माध्यम से हाईकोर्ट का रुख किया था। कंपनी का आरोप था कि उसने 30 दिसंबर 2024 को अपनी तकनीकी और वित्तीय बोलियां जमा की थीं, लेकिन 1 जनवरी 2025 को तकनीकी बोलियां खुलने के बाद भी उसे यह नहीं बताया गया कि उसकी बोली अंतिम चरण के लिए अर्ह हुई या नहीं। एलएंडटी ने इसे सार्वजनिक खरीद प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया।

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एमएमआरडीए की दलील
एमएमआरडीए की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि टेंडर की शर्तों के अनुसार केवल “उत्तरदायी” (responsive) बोलीदाताओं को ही तकनीकी मूल्यांकन के परिणामों की सूचना दी जाती है। चूंकि एलएंडटी की बोली को गैर-उत्तरदायी पाया गया, इसलिए उसे कोई सूचना देना आवश्यक नहीं था।

प्राधिकरण ने यह भी कहा कि असफल बोलीदाता अंतिम परिणाम के बाद भी प्रक्रिया को चुनौती दे सकते हैं, जिससे किसी को भी न्यायिक उपाय से वंचित नहीं किया जाएगा।

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जनहित का हवाला
एमएमआरडीए ने परियोजना की सार्वजनिक महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि इसमें वसई क्रीक पर 9.8 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर शामिल है, जो अटल सेतु के बाद देश का दूसरा सबसे लंबा होगा। वकीलों ने कहा, “यह एक जनहित की बड़ी परियोजना है, इसमें और देरी नहीं होनी चाहिए।”

अब अगला कदम
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद एमएमआरडीए अब वित्तीय बोलियों को खोलने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जिससे क्षेत्र की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं में से एक को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

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