तेलंगाना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बीआरएस विधायक टी हरीश राव के खिलाफ फोन टैपिंग का मामला खारिज करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिससे वरिष्ठ राजनीतिक नेता को काफी राहत मिली। अवैध निगरानी के आरोपों से उपजा यह मामला पिछले साल सिद्दीपेट जिले के पंजागुट्टा पुलिस स्टेशन में एक स्थानीय रियल एस्टेट एजेंट जी चक्रधर गौड़ के आरोपों के बाद दर्ज किया गया था।
गौड़ ने दावा किया था कि उनके फोन को अवैध रूप से टैप किया गया था, उन्होंने राव पर आरोप लगाया था, जो पिछली बीआरएस सरकार में मंत्री थे और पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के भतीजे हैं, उन्होंने अपने और अपने सहयोगियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए राज्य के खुफिया संसाधनों का दुरुपयोग किया, जिसमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं।
इन आरोपों के जवाब में, हरीश राव ने हाईकोर्ट में प्राथमिकी (एफआईआर) को चुनौती दी, जिसमें तर्क दिया गया कि आरोप “अवैध” और “राजनीति से प्रेरित” दोनों थे। मामले पर गहन विचार-विमर्श और सुनवाई के बाद, अदालत ने एफआईआर को रद्द करने का फैसला किया, जिससे राव के राजनीतिक करियर पर छाया डालने वाली कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई।

अदालत के फैसले के बाद, राव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी राहत और औचित्य व्यक्त करते हुए कहा, “न्याय की जीत हुई।” यह परिणाम न केवल राव को आरोपों से मुक्त करता है, बल्कि सत्ता के कथित दुरुपयोग और राजनीतिक प्रभाव से जुड़े विवादों को सुलझाने में न्यायिक प्रणाली की भूमिका को भी रेखांकित करता है।