सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस अधिकारियों को निशाना बनाकर किए गए फ़िशिंग हमलों के बाद फ़र्जी सुप्रीम कोर्ट वेबसाइटों के प्रति आगाह किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण साइबर सुरक्षा अलर्ट जारी करते हुए जनता को नकली वेबसाइटों से सतर्क रहने की चेतावनी दी है। इन नकली वेबसाइटों के जरिए सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक डोमेन की नकल कर संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री, रजिस्ट्रार (प्रौद्योगिकी) हरगुरवरिंदर सिंह जग्गी के नेतृत्व में, कई फर्जी यूआरएल जैसे www.scigoin.com, www.judiciarycheck.in आदि की पहचान की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट की तरह दिखते हैं। इन वेबसाइटों के माध्यम से व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई है।

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9 जनवरी 2025 को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह ईमेल या वेबसाइट के माध्यम से कभी भी व्यक्तिगत, वित्तीय, या गोपनीय जानकारी की मांग नहीं करता। अदालत ने जनता से आग्रह किया कि वे किसी भी संदिग्ध यूआरएल की प्रामाणिकता की जांच करें और ध्यान दें कि सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक डोमेन www.sci.gov.in है।

यह चेतावनी 6 जनवरी को हुई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई। उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ अपर महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि लगभग दस आईएएस अधिकारियों को अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए संदिग्ध ईमेल आमंत्रण प्राप्त हुए थे, जबकि आधिकारिक नोटिस जारी नहीं किए गए थे। इन ईमेलों, जो सुप्रीम कोर्ट से भेजे गए प्रतीत होते थे, बाद में फिशिंग अभियान का हिस्सा साबित हुए।

न्यायमूर्ति रॉय ने इन फर्जी ईमेलों की भाषा पर टिप्पणी करते हुए सतर्क रहने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि ईमेल में “थैंक्स एंड रिगार्ड्स” जैसे वाक्यांश इस्तेमाल किए गए थे, जो सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक संचार शैली से मेल नहीं खाते।

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सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने इस मामले में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क किया है ताकि इन फर्जी संदेशों के प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाया जा सके और उन्हें गिरफ्तार किया जा सके। साथ ही, फिशिंग हमलों के शिकार हुए लोगों को सलाह दी गई है कि वे तुरंत अपने पासवर्ड बदलें और अपने वित्तीय संस्थानों को किसी भी अनधिकृत पहुंच से बचने के लिए सूचित करें।

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सुप्रीम कोर्ट का यह कदम नागरिकों की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने और अदालत की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

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