मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने सोमवार को स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों के दौरान किसी मामले में तत्काल सुनवाई चाहने वाले वकीलों को सीधे अदालत में मेंशन करने के बजाय पहले सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का रुख करना होगा। रजिस्ट्री द्वारा बताए गए कारणों की जांच के बाद ही मामले को तत्काल सूचीबद्ध किया जाएगा।
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष अवकाश पीठ के समक्ष की गई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची भी शामिल थे। जैसे ही पीठ ने सुनवाई शुरू की, कई अधिवक्ताओं ने अपने मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक रूप से अनुरोध करना शुरू कर दिया।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अवकाश के दौरान इस तरह की मौखिक मेंशनिंग स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि वकील अपने मामले की तात्कालिकता के ठोस कारण लिखित रूप में रजिस्ट्री के समक्ष प्रस्तुत करें।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जिन मामलों में प्रस्तुत कारणों की जांच के बाद वास्तविक तात्कालिकता पाई जाएगी, उन्हें अस्थायी रूप से 26 दिसंबर या 29 दिसंबर को सूचीबद्ध किया जा सकता है।
पीठ ने बताया कि यह विशेष बैठक इसलिए आयोजित की गई है ताकि न्यायिक हस्तक्षेप की वास्तव में आवश्यकता वाले मामलों पर अवकाश के दौरान भी समय पर विचार किया जा सके, लेकिन इसके लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाना जरूरी है।
गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने यह भी कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट की क्रिसमस और नववर्ष अवकाश के पहले दिन, यानी 22 दिसंबर को भी आवश्यक होने पर तत्काल मामलों की सुनवाई के लिए बैठने को तैयार हैं। सोमवार की यह सुनवाई उसी व्यवस्था का हिस्सा रही, जिसमें अदालत ने यह साफ कर दिया कि तात्कालिकता का निर्धारण रजिस्ट्री द्वारा किया जाएगा, न कि खुले न्यायालय में मौखिक अनुरोध के आधार पर।

