पेगासस जासूसी जांच याचिकाएं: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस स्पाईवेयर के कथित अवैध इस्तेमाल की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की है। यह मामला उन गंभीर आरोपों से जुड़ा है जिसमें पत्रकारों और अन्य प्रमुख हस्तियों की निगरानी की बात सामने आई थी। पहले यह सुनवाई अन्य तिथियों पर होनी थी, लेकिन अब इसे 29 अप्रैल को सुना जाएगा, जो निजता के उल्लंघन और निगरानी के मुद्दे पर बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने समयाभाव का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित करने का निर्णय लिया। अदालत का यह कदम इस संवेदनशील मुद्दे पर न्यायपालिका की गंभीरता को दर्शाता है।

READ ALSO  2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की सुनवाई कर रहे जज का तबादला, पीड़ितों का कहना है कि इससे न्याय में देरी होगी

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, ने इस मामले की तात्कालिकता पर जोर दिया और अदालत को याद दिलाया कि उसने पहले तकनीकी समिति की रिपोर्ट साझा करने का निर्देश दिया था, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। दीवान ने कहा, “इस अदालत को कुछ निर्देश देने होंगे क्योंकि हमें रिपोर्ट नहीं मिली है।”

Video thumbnail

यह मामला 2021 में सामने आए उन आरोपों से जुड़ा है जिसमें कहा गया था कि इज़रायल में विकसित पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों द्वारा राजनीतिक, मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं की निगरानी के लिए किया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक तकनीकी और एक पर्यवेक्षण समिति गठित कर विस्तृत जांच के आदेश दिए थे।

पूर्व न्यायाधीश आर. वी. रवीन्द्रन की अध्यक्षता वाली समिति ने केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिलने की बात कही थी। समिति ने जिन मोबाइल फोनों की जांच की, उनमें से पांच में मैलवेयर पाया गया, लेकिन यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका कि वह पेगासस ही था।

READ ALSO  कर्नाटक हाईकोर्ट ने चुनावी भाषण को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के खिलाफ़ दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया

तकनीकी समिति में नवीन कुमार चौधरी, प्रभाहरण पी और अश्विन अनिल गुमस्ते शामिल थे, जबकि पर्यवेक्षण समिति में पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और साइबर विशेषज्ञ संदीप ओबेरॉय को नियुक्त किया गया था।

यह मामला भारत में साइबर सुरक्षा और नागरिकों की निजता के अधिकार से जुड़े व्यापक कानूनी और नीतिगत सुधारों की दिशा में एक अहम मोड़ बन सकता है।

READ ALSO  वैवाहिक विवादों में महिला के रिश्तेदारों द्वारा दिए गए साक्ष्य को इच्छुक गवाह बताकर खारिज नहीं किया जा सकता है: हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles