तेलंगाना न्यायिक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने ‘विशेष मामले’ के तहत नियुक्तियों का दिया निर्देश, पात्रता नियमों पर कानूनी सवाल रखे बरकरार

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर, 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश में तेलंगाना हाईकोर्ट को न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति एक ‘विशेष मामले’ के तौर पर करने का निर्देश दिया है। यह आदेश तब आया जब सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों की नियुक्ति पर अपनी सहमति दे दी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तेलंगाना राज्य न्यायिक सेवा नियम, 2023 के पात्रता मानदंडों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए नियमों की वैधता से जुड़े कानूनी सवालों को भविष्य के लिए खुला रखा है।

इस मामले में मुख्य कानूनी मुद्दा तेलंगाना राज्य न्यायिक सेवा नियम, 2023 के नियम 5(5.1)(a) और नियम 2(k) की वैधता को लेकर था, जिसके कारण जिला न्यायाधीश (एंट्री लेवल) के पद के लिए पात्रता केवल तेलंगाना राज्य में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों तक ही सीमित हो गई थी।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला 12 अप्रैल, 2023 को तेलंगाना सरकार द्वारा जिला न्यायाधीश (एंट्री लेवल) के 11 पदों के लिए जारी एक भर्ती अधिसूचना से शुरू हुआ था। पात्रता के लिए हाईकोर्ट या उसके अधीनस्थ अदालतों में सात साल की वकालत का अनुभव अनिवार्य था। अपीलकर्ताओं ने इन पदों के लिए आवेदन किया, लेकिन 10 जून, 2023 को तेलंगाना राज्य न्यायिक सेवा नियम, 2023 लागू होने के बाद उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई।

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नए नियमों ने 2017 के नियमों की जगह ली और इसमें नियम 2(k) के तहत “हाईकोर्ट” को “तेलंगाना राज्य के लिए हाईकोर्ट” के रूप में परिभाषित किया गया। इसके साथ ही, नियम 5(5.1)(a) के तहत उम्मीदवार के लिए “हाईकोर्ट या उसके नियंत्रण में काम करने वाली अदालतों में कम से कम 7 साल तक एक वकील के रूप में प्रैक्टिस” करना आवश्यक था। इन नियमों के संयुक्त प्रभाव की व्याख्या इस तरह की गई कि तेलंगाना के बाहर प्रैक्टिस करने वाले वकील इस भर्ती के लिए अयोग्य हो गए।

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3 जुलाई, 2023 को जारी एक अधिसूचना में नए नियमों के तहत अपात्र बताते हुए अपीलकर्ताओं सहित कई आवेदकों को खारिज कर दिया गया।

हाईकोर्ट की कार्यवाही

उम्मीदवारी खारिज होने के बाद उम्मीदवारों ने तेलंगाना हाईकोर्ट में रिट याचिकाएं दायर कीं। हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए उन्हें 22 और 23 जुलाई, 2023 को हुई लिखित परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी। लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद, उम्मीदवारों को मौखिक साक्षात्कार के लिए भी बुलाया गया।

हालांकि, 27 दिसंबर, 2023 को अपने अंतिम फैसले में, हाईकोर्ट ने सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने माना कि 2023 के नियम संविधान के अनुच्छेद 233 का उल्लंघन नहीं करते हैं, ये नियम 1 जनवरी, 2023 से पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू हुए, और ‘हाईकोर्ट’ की परिभाषा केवल तेलंगाना हाईकोर्ट तक ही सीमित है। इस आधार पर, हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता पात्र नहीं थे और वे नियमों को भेदभावपूर्ण या मनमाना नहीं कह सकते।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और अंतिम आदेश

अपीलकर्ताओं ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तेलंगाना हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील के सामने कुछ वैकल्पिक सुझाव रखे।

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इसके जवाब में, हाईकोर्ट के वकील ने निर्देश लेने के बाद अदालत को सूचित किया कि “हाईकोर्ट को 2023 के नियमों को छेड़े बिना, एक असाधारण मामले के रूप में 2023 की भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण अपीलकर्ताओं/याचिकाकर्ताओं के परिणाम घोषित करने और उन्हें नियुक्त करने में कोई आपत्ति नहीं है।”

हाईकोर्ट के इस रुख की सराहना करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम निर्देश जारी किए। न्यायालय ने हाईकोर्ट से अपीलकर्ताओं और याचिकाकर्ताओं के परिणाम घोषित करने और उनके दस्तावेजों के सत्यापन के बाद योग्य पाए जाने वालों को नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया। यह प्रक्रिया “इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के भीतर” पूरी करने को कहा गया है।

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न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश “सख्ती से इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तक ही सीमित है और इसे भविष्य के मामलों के लिए एक नज़ीर (precedent) के रूप में नहीं माना जाएगा।” यह भी स्पष्ट किया गया कि नवनियुक्त न्यायाधीशों को किसी भी तरह के बकाया मौद्रिक लाभ का अधिकार नहीं होगा और उनकी वरिष्ठता उनकी नियुक्ति की तारीख के आधार पर तय की जाएगी, जिसका अर्थ है कि पहले से नियुक्त न्यायाधीश उनसे वरिष्ठ होंगे।

सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद के उम्मीदवारों के लिए भी इसी तरह का निर्देश जारी किया गया। अंत में, न्यायालय ने यह कहते हुए मामले का निपटारा किया कि “हमारे समक्ष उठाए गए कानून के सभी प्रश्न खुले रखे गए हैं।”

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