सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) नेता एच. डी. कुमारस्वामी को बड़ी राहत देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उन्हें भूमि अतिक्रमण से जुड़े अवमानना मामले में पक्षकार बनाया गया था।
न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कुमारस्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के 17 अप्रैल 2025 के आदेश पर रोक लगा दी और गैर सरकारी संगठन ‘समाज परिवर्तन समाज’ को नोटिस जारी किया। यह एनजीओ वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से पेश हुआ है और उसने बेंगलुरु के निकट बिदादी स्थित केठगनहल्ली गांव में कुमारस्वामी और उनके परिजनों पर बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि के अतिक्रमण का आरोप लगाया है।
शीर्ष अदालत ने यह भी दर्ज किया कि जिस अवमानना कार्यवाही में कुमारस्वामी को पक्षकार बनाया गया, वह कर्नाटक हाईकोर्ट के 14 जनवरी 2020 के आदेश की अवहेलना के संदर्भ में लंबित थी। यह आदेश राज्य सरकार की ओर से दिए गए उस आश्वासन पर आधारित था जिसमें कहा गया था कि राज्य लोकायुक्त के 5 अगस्त 2014 के आदेश का तीन सप्ताह में पालन किया जाएगा। हालांकि, लोकायुक्त ने बाद में 3 मार्च 2021 को यह कार्यवाही अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के कारण बंद कर दी थी।

कुमारस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने तर्क दिया कि जब लोकायुक्त की रिपोर्ट केवल अंतरिम प्रकृति की थी और बाद में मामला बंद कर दिया गया, तो उस पर अवमानना कार्यवाही नहीं चल सकती। उन्होंने यह भी कहा कि जब यह अवमानना याचिका दायर की गई, उस समय कुमारस्वामी उसमें पक्षकार नहीं थे, बावजूद इसके उन्हें बेदखली के आदेश थमा दिए गए।
इससे पूर्व 28 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कुमारस्वामी की विशेष अनुमति याचिका (SLP) निपटाते हुए उन्हें यह स्वतंत्रता दी थी कि वे हाईकोर्ट को सूचित कर सकते हैं कि वे उस कार्यवाही के पक्षकार नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया, परंतु हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल को उन्हें अवमानना याचिका में औपचारिक रूप से पक्षकार बना दिया, जिसे उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अंतरिम रूप से 17 अप्रैल 2025 के आदेश की प्रभावशीलता पर रोक लगाई जाती है।” कोर्ट ने हालांकि अन्य पक्षों जैसे कि कर्नाटक सरकार को फिलहाल नोटिस जारी नहीं किया है।
यह मामला 2011 की लोकायुक्त रिपोर्ट से शुरू हुआ था, जिसमें केठगनहल्ली गांव में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का मुद्दा उठाया गया था। राज्य सरकार ने तब एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसने प्राथमिक जांच में आरोपों को सही पाया था। हाईकोर्ट ने 2020 में राज्य सरकार के आश्वासन पर मामला बंद कर दिया था, जबकि लोकायुक्त ने 2021 में अपनी कार्यवाही समाप्त कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से कुमारस्वामी को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन कर्नाटक में सरकारी भूमि पर कथित अतिक्रमण का मामला अभी भी न्यायिक जांच के दायरे में है।