सुप्रीम कोर्ट ने विधायक अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर यूपी सरकार से जवाब मांगा

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विधायक अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। मऊ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अंसारी पर अपनी पत्नी के मोबाइल फोन का उपयोग करके सलाखों के पीछे से जबरन वसूली की गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 1 मई को अंसारी की जमानत खारिज किए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

दिवंगत गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी पर आरोप है कि चित्रकूट जिला जेल में बंद रहने के दौरान उन्होंने कई लोगों को जबरन वसूली के लिए धमकाया। आरोपों में मोबाइल फोन का दुरुपयोग और जेल से भागने में उनकी पत्नी के ड्राइवर और जेल अधिकारियों की कथित साजिश शामिल है। फरवरी 2023 में दर्ज की गई प्रारंभिक प्राथमिकी में कहा गया है कि अंसारी की पत्नी अनिवार्य औपचारिकताओं और प्रतिबंधों का पालन किए बिना अक्सर उनसे मिलने जाती थीं।

READ ALSO  सिर्फ इसलिए कि शादी में दहेज दिया गया था, इससे संपत्ति में बेटी का अधिकार नहीं छिन जाता- बॉम्बे हाईकोर्ट

हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए आरोपों की गंभीरता की ओर इशारा किया और इस बात पर जोर दिया कि विधायक के तौर पर अंसारी से आचरण के उच्च मानक को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयानों सहित साक्ष्यों से पता चला कि अंसारी इन अवैध गतिविधियों में शामिल थे। न्यायालय ने अंसारी की पत्नी को दी गई असामान्य पहुंच पर भी प्रकाश डाला, जिसे उसने सामान्य रूप से दी जाने वाली पहुंच से परे माना, जिससे अंसारी की ओर से संभावित मिलीभगत का संकेत मिलता है।

Play button

यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ के समक्ष लाया गया, जिन्होंने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह में करने का फैसला किया है। इस अवधि के दौरान, यूपी सरकार से आरोपों और अंसारी की जमानत याचिका पर अपना जवाब देने की उम्मीद है।

Also Read

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर दिल्ली के उपराज्यपाल से स्पष्टीकरण मांगा

यह मामला न केवल अपनी कानूनी जटिलताओं के कारण बल्कि अंसारी की पारिवारिक पृष्ठभूमि और विधायक के तौर पर उनकी भूमिका को देखते हुए इसके राजनीतिक निहितार्थों के कारण भी ध्यान आकर्षित करता है। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का अंसारी के राजनीतिक करियर और राजनीतिक संदर्भों में कानून प्रवर्तन और न्याय की व्यापक धारणा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।

READ ALSO  पीलीभीत एनकाउंटर 1991 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धारा 304 IPC के तहत 43 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles