भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्तियों को उच्च न्यायालयों तक विस्तारित करने की मांग की गई थी। यह याचिका एनजीओ अभिनव भारत कांग्रेस द्वारा दायर की गई थी, जिसे न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मंगलवार को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया।
अनुच्छेद 142 एक विशेष प्रावधान है जो सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी लंबित मामले में संपूर्ण न्याय करने हेतु कोई भी आदेश या डिक्री पारित कर सके। यह शक्ति सुप्रीम कोर्ट को उन जटिल कानूनी मामलों में न्याय सुनिश्चित करने की सुविधा देती है जहां सामान्य कानून सीमित हो सकते हैं।
याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की, “हम इस प्रकार की याचिका कैसे स्वीकार कर सकते हैं? इसके लिए तो संविधान संशोधन की आवश्यकता है। आप संसद जाइए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्ति केवल सुप्रीम कोर्ट को प्राप्त है, उच्च न्यायालयों को नहीं। पीठ ने एनजीओ की याचिका को “पूरी तरह से भ्रांतिपूर्ण” करार दिया।