सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भूमि के बदले नौकरी घोटाले में उनके खिलाफ चल रही ट्रायल को 12 अगस्त तक स्थगित करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि यदि ट्रायल कोर्ट आरोप तय कर भी देता है, तो इससे दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिका “निरर्थक” नहीं हो जाएगी।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यादव की इस दूसरी याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल को रोकने से इनकार कर दिया। इससे पहले 18 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार किया था, हालांकि लालू यादव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी गई थी।
लालू यादव ने दलील दी कि सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR) विधिसम्मत नहीं है क्योंकि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना दर्ज की गई है। यह अधिनियम किसी लोक सेवक को उसके अधिकारिक कृत्यों के लिए अनावश्यक मुकदमों से सुरक्षा प्रदान करता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 मई को इस मामले में सीबीआई को नोटिस जारी किया था और मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को तय की थी, लेकिन ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। यादव ने इसके बाद हाईकोर्ट से या तो सुनवाई की तारीख को पहले करने या ट्रायल स्थगित करने का अनुरोध किया था।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में यादव की ओर से वकील मुदित गुप्ता ने यह कहते हुए मामला स्थगित करने की मांग की कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अन्यत्र व्यस्त हैं। वहीं, सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने याचिका को कानून का दुरुपयोग बताया और आरोप लगाया कि ट्रायल को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ऐसी याचिका पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।”
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
अब ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की कार्यवाही तय समय पर जारी रहेगी।