इंडिगो उड़ान रद्दीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने PIL सुनने से इनकार किया, याचिकाकर्ता को दिल्ली हाई कोर्ट जाने की सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंडिगो द्वारा सैकड़ों उड़ानों के रद्द किए जाने से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और विपुल एम. पामचोली की पीठ ने यह नोट किया कि इसी मुद्दे पर एक समान जनहित याचिका पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है और वही अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है।

यह याचिका नरेंद्र मिश्रा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने इंडिगो की बड़े पैमाने पर उड़ान रद्दीकरण के कारण देशभर में लाखों यात्रियों के फंसे होने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी। मिश्रा ने दलील दी कि मामले का व्यापक जनहित से जुड़ा होना शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप को आवश्यक बनाता है।

READ ALSO  SC Sets Aside Bail Condition Imposed By HC Directing Accused To Deposit Rs 70 Lakh in GST Fraud

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाई कोर्ट पहले से ही इस संकट पर विचार कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा,
“यह जनता के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन हाई कोर्ट इस पर विचार कर रहा है। वह भी एक संवैधानिक न्यायालय है। यदि आपकी शिकायतों का समाधान नहीं होता है, तो आप फिर से यहां आ सकते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देते हुए यह स्वतंत्रता भी दी कि यदि वहां राहत नहीं मिलती है, तो वह दोबारा शीर्ष अदालत का रुख कर सकता है।

इंडिगो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने 5 दिसंबर को उड़ान रद्दीकरण और यात्रियों को हो रही परेशानियों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है।

इन दलीलों को रिकॉर्ड पर लेते हुए पीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए सभी मुद्दे पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष लंबित हैं। पीठ ने यह भी अनुरोध किया कि हाई कोर्ट याचिकाकर्ता को वहां चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप की अनुमति दे, ताकि वह अपनी सभी दलीलें रख सके।

READ ALSO  मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना सूर्यास्त के बाद महिलाओं की गिरफ्तारी कानून का उल्लंघन है, लेकिन हमेशा अवैध नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

पीठ ने कहा,
“यदि सभी शिकायतों का निवारण नहीं होता है, तो याचिकाकर्ता या कोई अन्य जनहित में कार्य करने वाला व्यक्ति इस न्यायालय के समक्ष आने से वंचित नहीं है।”

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल सुनवाई से भी इनकार किया था और कहा था कि केंद्र सरकार ने स्थिति का संज्ञान लिया है और उसे सुधारने के लिए कदम उठाए हैं।

गौरतलब है कि 10 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो की उड़ान रद्दीकरण से उत्पन्न संकट को लेकर केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया था। हाई कोर्ट ने पूछा था कि समय रहते कदम क्यों नहीं उठाए गए, जिससे लाखों यात्री फंस गए और अन्य एयरलाइंस ने भारी किराया वसूलना शुरू कर दिया।

READ ALSO  पति के जीवित रहते शुरू हुआ लंबा सहमतिपूर्ण संबंध शादी के झूठे वादे पर बलात्कार नहीं माना जा सकता: केरल हाईकोर्ट

इंडिगो ने पायलटों की उड़ान ड्यूटी समय सीमा और नियामकीय मानकों में बदलाव का हवाला देते हुए सैकड़ों उड़ानें रद्द की हैं। इन रद्दीकरणों के चलते देशभर के हवाई अड्डों पर लाखों यात्री प्रभावित हुए हैं, जिसके बाद यह मामला न्यायिक जांच के दायरे में आया है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles