सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को विदेश जाकर नौकरी करने की अनुमति तो दी गई थी, लेकिन इसके साथ यह शर्त जोड़ दी गई थी कि उसकी पत्नी भारत में ही रहे। इंजीनियर पर विवाह का झूठा वादा कर दुष्कर्म करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने आरोपी की ओर से दी गई इस लिखित प्रतिबद्धता को रिकॉर्ड पर लिया कि वह मुकदमे की हर सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहेगा और जब भी ट्रायल कोर्ट बुलाएगा, वह व्यक्तिगत रूप से पेश होगा। इसके बाद अदालत ने 8 अगस्त 2025 को पारित अपने अंतरिम आदेश को अंतिम रूप दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई वह शर्त टिकाऊ नहीं है, क्योंकि आरोपी की पत्नी न तो इस आपराधिक मामले में आरोपी है और न ही पक्षकार। अदालत को बताया गया कि आदेश पारित होने के समय पत्नी भारत में थी ही नहीं और वह अमेरिका में कार्यरत है। इसके बावजूद बिना उसे सुने उसके अधिकारों को प्रभावित करने वाला निर्देश दिया गया, जो प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के विपरीत है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए आरोपी को दो लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने की शर्त पर विदेश जाने की अनुमति दी थी। पीठ ने अब कहा कि आरोपी द्वारा दी गई शपथबद्ध प्रतिबद्धता के मद्देनज़र उसके विदेश जाने से मुकदमे की सुनवाई प्रभावित होने का कोई आधार नहीं है।
अदालत के समक्ष यह भी दलील दी गई कि आरोपी भारतीय नागरिक है, उसके पास भारतीय पासपोर्ट है और वह सीमित अवधि के लिए कार्य वीजा पर विदेश जाना चाहता है। ऐसे में उसके फरार होने की कोई आशंका नहीं है और न ही इससे ट्रायल में देरी होगी।
यह मामला अजमेर के क्रिश्चियनगंज थाना क्षेत्र का है, जहां एक महिला ने आरोप लगाया कि वह एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए आरोपी के संपर्क में आई थी और शादी के वादे के आधार पर दोनों के बीच करीब चार वर्षों तक संबंध रहे। आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो छलपूर्ण तरीके से यौन संबंध बनाने से संबंधित है।
गिरफ्तारी की आशंका के चलते आरोपी को पहले अग्रिम जमानत मिली थी। बाद में उसने विदेश जाने की अनुमति मांगी, जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपील पर अनुमति दी, लेकिन पत्नी को भारत में रहने की शर्त जोड़ दी। सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले के बाद अब यह शर्त समाप्त हो गई है, जबकि ट्रायल में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय बने रहेंगे।

