सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ फोन पर दी गई दवा की सलाह के लिए गैर इरादतन हत्या का आरोप खारिज किया

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में चिकित्सा लापरवाही और आपराधिक उत्तरदायित्व से जुड़े मामले में डॉक्टर मोहन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (Section 304 Part I IPC) का आरोप खारिज कर दिया है। डॉक्टर पर आरोप था कि उन्होंने फोन पर स्टाफ नर्स को एक इंजेक्शन लगाने का निर्देश दिया था, जिसके कारण कथित रूप से मरीज की मृत्यु हो गई। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह निर्णय सुनाते हुए कहा कि यह मामला आपराधिक हत्या की बजाय धारा 304ए (IPC) यानी लापरवाही से हुई मृत्यु के अंतर्गत आएगा। यह निर्णय पुनः स्थापित करता है कि चिकित्सा लापरवाही से जुड़े आपराधिक मामलों में डॉक्टर की मंशा और पेशेवर मानकों के आधार पर उत्तरदायित्व तय किया जाना चाहिए।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला तमिलनाडु का है, जहां डॉक्टर मोहन, जो एक योग्य चिकित्सक हैं, पर फोन पर स्टाफ नर्स को एक इंजेक्शन लगाने का निर्देश देने का आरोप था। मरीज को कथित रूप से इस दवा से गंभीर प्रतिक्रिया हुई, जिससे उसकी मृत्यु हो गई और इस संबंध में जिला तिरुवल्लुर की न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में पी.आर.सी. संख्या 20/2015 के तहत मामला दर्ज किया गया।

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मद्रास उच्च न्यायालय ने 11 अगस्त 2021 को अपने आदेश में डॉक्टर मोहन के खिलाफ धारा 304 भाग I (IPC) के तहत आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में अपील के रूप में आया। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि यह मामला आपराधिक हत्या का नहीं है और यदि कोई आरोप बनता भी है, तो वह अधिकतम धारा 304ए (IPC) के तहत चिकित्सा लापरवाही का हो सकता है।

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मुख्य कानूनी मुद्दे

  1. क्या फोन पर दिए गए डॉक्टर के निर्देश के आधार पर किसी दवा का प्रशासन आपराधिक हत्या (Section 304 Part I IPC) के तहत आ सकता है?
  2. चिकित्सा लापरवाही (Section 304A IPC) और आपराधिक हत्या (Section 304 Part I IPC) में अंतर।
  3. क्या किसी चिकित्सक पर आपराधिक दायित्व आरोपित किया जा सकता है, यदि उन्होंने सद्भावना से उपचार दिया हो, लेकिन उससे अनपेक्षित रूप से मृत्यु हो जाए?
  4. चिकित्सा लापरवाही पर लागू कानूनी सिद्धांत, विशेष रूप से जेकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य (2005) 6 SCC 1 का निर्णय, जिसमें आपराधिक उत्तरदायित्व के लिए “घोर लापरवाही” की अनिवार्यता बताई गई है।
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सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियां

सर्वोच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा डॉक्टर पर धारा 304 भाग I (IPC) के तहत लगाए गए आरोपों को अस्वीकार्य माना। पीठ ने कहा कि केवल डॉक्टर के निर्देश पर दी गई दवा के प्रतिकूल प्रभाव से हुई मृत्यु को आपराधिक हत्या नहीं माना जा सकता।

अदालत ने कहा:
“मात्र चिकित्सा लापरवाही को, जब तक कि उसमें अत्यधिक लापरवाही न हो, आपराधिक हत्या नहीं माना जा सकता। अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि डॉक्टर ने किसी आपराधिक मंशा या जानबूझकर लापरवाही से कार्य किया था।”

इसके अलावा, न्यायालय ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि जिस स्टाफ नर्स ने वास्तविक रूप से इंजेक्शन लगाया था, उसके खिलाफ कार्यवाही पहले ही जेकब मैथ्यू मामले के आधार पर समाप्त कर दी गई थी।

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अदालत का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय दिए:

  1. धारा 304 भाग I (IPC) के तहत लगाया गया आरोप अस्थिर है और उसे निरस्त किया जाता है।
  2. मामले को धारा 304ए (IPC) के तहत आगे बढ़ाया जा सकता है, जो लापरवाही से हुई मृत्यु से संबंधित है।
  3. निचली अदालत को आरोपों को संशोधित करने और इस मामले को किसी ऐसे मजिस्ट्रेट को सौंपने का निर्देश दिया गया, जो धारा 304ए IPC के तहत मामलों की सुनवाई करने का अधिकार रखता हो।

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