सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है जिसमें “ऑपरेशन सिंदूर” नामक शब्द के व्यावसायिक ट्रेडमार्क पंजीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह नाम राष्ट्रीय बलिदान और भावनाओं का प्रतीक है, जिसे किसी भी तरह के व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
यह याचिका प्रतिवादी संख्या 10 से 14 द्वारा 7 और 8 मई, 2025 को ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए क्लास 41 के अंतर्गत TM-1 फॉर्म में दाखिल किए गए आवेदन को चुनौती देती है। यह आवेदन “ऑपरेशन सिंदूर” नाम को पंजीकृत कराने के उद्देश्य से संबंधित ट्रेडमार्क रजिस्ट्री (प्रतिवादी संख्या 6 से 9) में किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि “ऑपरेशन सिंदूर” शब्द हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में शोक और आक्रोश का प्रतीक बन गया है, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई। यह नाम न केवल सैनिकों के बलिदान से जुड़ा है, बल्कि पूरे देश की भावनाओं को भी दर्शाता है।

याचिकाकर्ता ने कहा, “यह नाम केवल व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह आम जनता की भावनाओं का शोषण है।”
साथ ही, याचिका में कहा गया है कि ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 9 के अंतर्गत भी इस प्रकार के पंजीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह सार्वजनिक नीति और नैतिकता के विरुद्ध है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि वर्तमान में “ऑपरेशन सिंदूर” भारतीय सेना द्वारा चलाया जा रहा एक सैन्य अभियान है और इसे किसी भी रूप में निजी व्यापारिक उद्देश्यों के लिए पंजीकृत करना अनुचित है।
सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह तत्काल हस्तक्षेप कर इन ट्रेडमार्क आवेदनों पर रोक लगाए और इस नाम के माध्यम से जनभावनाओं के दोहन को रोके।