सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा कि यदि कोई विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी (MNC) भारत में किसी परिसर पर महत्वपूर्ण परिचालन नियंत्रण रखती है, तो उस पर भारत में कर लगाया जा सकता है, भले ही उसका कोई स्थायी कार्यालय या कर्मचारी भारत में लम्बे समय तक मौजूद न हो।
यह फैसला दुबई स्थित Hyatt International Southwest Asia Ltd के लिए झटका साबित हुआ, जिसने 2009 से 2018 तक भारत में हयात होटल्स को दी गई प्रबंधन और सलाहकारी सेवाओं पर अपनी कर देनदारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2023 के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि भारत में हयात की मौजूदगी स्थायी प्रतिष्ठान (Permanent Establishment – PE) मानी जाएगी, और इस कारण उसे भारत में टैक्स देना होगा। यह फैसला भारत-यूएई दोहरे कराधान बचाव समझौते (DTAA) के अनुच्छेद 5(1) के तहत दिया गया है।

“डिस्पोज़ल टेस्ट” और आर्थिक नियंत्रण को प्राथमिकता
Hyatt का यह तर्क कि उसने भारत में कोई कार्यालय नहीं खोला और उसके कर्मचारी केवल कभी-कभार भारत आते थे, कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PE का निर्धारण किसी एक्सक्लूसिव स्पेस की मौजूदगी पर नहीं बल्कि इस बात पर आधारित है कि क्या कोई विदेशी कंपनी भारत में किसी स्थान से व्यवसाय संचालित कर रही है।
कोर्ट ने कहा, “केवल परामर्श देने तक सीमित अधिकार नहीं थे, बल्कि हयात के पास होटल संचालन पर गहरा और लागू करने योग्य नियंत्रण था।”
हयात द्वारा भारतीय होटलों के साथ किए गए Services and Operating Services Agreement (SOSA) के तहत उसे होटल के प्रमुख कर्मचारियों की नियुक्ति, HR नीति, मूल्य निर्धारण, ब्रांडिंग, बैंक खातों का संचालन जैसे अधिकार प्राप्त थे — ये सभी कार्य वह बिना किसी भारतीय कार्यालय के करता था।
कर्मचारी की उपस्थिति की अवधि नहीं, निरंतरता महत्वपूर्ण
Hyatt ने तर्क दिया कि उसके किसी भी कर्मचारी ने 9 महीने से अधिक भारत में काम नहीं किया, जो कि DTAA के अनुच्छेद 5(2)(i) में दी गई सीमा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की निरंतर और समग्र उपस्थिति ही PE स्थापित करने के लिए पर्याप्त है, चाहे कोई व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अधिक समय तक रुका हो या नहीं।
BTG Advaya लॉ फर्म के टैक्स प्रमुख अमित बैद ने कहा, “अब केवल ठहराव की अवधि नहीं, बल्कि कर्मचारियों की नियमित, बार-बार यात्राएं और संचालन में सक्रिय भागीदारी को देखा जाएगा।”
तकनीकी सेवा शुल्क की धारा नहीं रोक सकती PE कराधान
Hyatt ने यह भी दलील दी कि भारत-यूएई DTAA में तकनीकी सेवाओं (Fees for Technical Services – FTS) को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि अगर व्यवसाय भारत में किसी फिक्स्ड प्लेस के माध्यम से संचालित हो रहा है, तो FTS की कमी कराधान को नहीं रोक सकती।
MNCs के लिए दूरगामी प्रभाव
यह फैसला भारत में काम कर रही विदेशी कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है। अब केवल फॉर्मल ऑफिस न होने या कर्मचारियों की सीमित उपस्थिति से वे टैक्स से नहीं बच पाएंगी, यदि उनके पास भारतीय संचालन पर वास्तविक नियंत्रण है।
कोर्ट ने कहा, “होटल का परिसर ही हयात की प्रमुख व्यवसायिक गतिविधियों का केंद्र था,” और इससे भारत में उसकी स्पष्ट और निरंतर व्यवसायिक मौजूदगी सिद्ध होती है।