सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब पुलिस के डीजीपी को निर्देश दिया कि वे एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन करें, जो एक महिला की उसके पति और उसके साथियों द्वारा की गई कथित हत्या की जांच करेगी। यह निर्देश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिया, जो पीड़िता के पिता द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोपी पति को दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि SIT में दो आईपीएस अधिकारी और एक महिला अधिकारी शामिल हों, ताकि मामले की निष्पक्ष और गहन पुनः जांच सुनिश्चित की जा सके। यह मामला पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है, जिस कारण इसे पंजाब पुलिस से क्राइम ब्रांच को स्थानांतरित कर दिया गया था।
सुनवाई के दौरान पीड़िता के पिता की ओर से अधिवक्ताओं विश्वजीत सिंह और वीरा कौल सिंह ने दलील दी कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी पति को जमानत देकर गंभीर त्रुटि की है। उन्होंने मामले की गंभीरता और प्रारंभिक जांच में आई खामियों का हवाला देते हुए अधिक कठोर जांच की आवश्यकता पर बल दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने SIT को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। इसके बाद कोर्ट इस मामले को निपटाया हुआ मानते हुए अंतिम निर्णय लेगा। यह समयसीमा अदालत की इस मामले में शीघ्र और स्पष्ट न्याय की आवश्यकता पर बल देती है।
मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार, मूल रूप से नोएडा की रहने वाली महिला की शादी वर्ष 2011 में हुई थी और 2014 में एक बच्चा भी हुआ। महिला का शव अमृतसर में एक कार से बरामद हुआ था, जहां वह अपने पति के साथ रहती थी। शव पर कई चोटों और गला घोंटे जाने के संकेत मिले थे।
पीड़िता के पिता का आरोप है कि उसकी हत्या उसके पति, पति की प्रेमिका और प्रेमिका के एक रिश्तेदार ने मिलकर की थी। प्रारंभिक जांच के बाद पंजाब पुलिस ने जून 2020 में केवल पति के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। बाद में पति की मां द्वारा दायर याचिका के आधार पर मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। क्राइम ब्रांच ने प्रारंभिक जांच में खामियां पाईं और पति की भूमिका पर संदेह जताते हुए तीन अन्य व्यक्तियों की भूमिका की गहन जांच की सिफारिश की।